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    Ganesh Mantra: बुधवार की पूजा में करें इन मंत्रों का जप, सभी कामों में मिलेगी सफलता

    सनातन धर्म में भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने के लिए बुधवार का दिन शुभ माना जाता है। इस दिन भक्त भगवान गणेश की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में खुशियों का आगम होता है। साथ ही शुभ परिणाम मिलते हैं।

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Tue, 13 May 2025 09:00 PM (IST)
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    Ganesh Mantra: इस तरह प्राप्त करें भगवान गणेश की कृपा (Pic Credit- Freepik)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भगवान गणेश को बुधवार का दिन अधिक प्रिय है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने का विधान है। साथ ही विशेष चीजों का दान किया जाता है। बुधवार की पूजा के समय इन मंत्रों (Ganesh Mantra) का जप करें। धार्मिक मान्यता के अनुसार, गणेश जी के मंत्रों का जप करने से सभी बलाएं टल जाती हैं और सभी मुरादें पूरी होती हैं।

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    गणेश मंत्र

    1. ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।

    निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥

    2. ऊँ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ॥

    3. ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

    4. ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

    5. ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

    6. ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नम:।।

    7. “ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं चिरचिर गणपतिवर वर देयं मम वाँछितार्थ कुरु कुरु स्वाहा ।”

    8. गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।

    द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥

    विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।

    द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्‌ ॥

    विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत्‌ क्वचित्‌ ।

    9. ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।

    10. ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।

    श्रीगणेशमन्त्रस्तोत्रम्

    शृणु पुत्र महाभाग योगशान्तिप्रदायकम् ।

    येन त्वं सर्वयोगज्ञो ब्रह्मभूतो भविष्यसि ॥

    चित्तं पञ्चविधं प्रोक्तं क्षिप्तं मूढं महामते ।

    विक्षिप्तं च तथैकाग्रं निरोधं भूमिसज्ञकम् ॥

    तत्र प्रकाशकर्ताऽसौ चिन्तामणिहृदि स्थितः ।

    साक्षाद्योगेश योगेज्ञैर्लभ्यते भूमिनाशनात् ॥

    चित्तरूपा स्वयंबुद्धिश्चित्तभ्रान्तिकरी मता ।

    सिद्धिर्माया गणेशस्य मायाखेलक उच्यते ॥

    अतो गणेशमन्त्रेण गणेशं भज पुत्रक ।

    तेन त्वं ब्रह्मभूतस्तं शन्तियोगमवापस्यसि ॥

    इत्युक्त्वा गणराजस्य ददौ मन्त्रं तथारुणिः ।

    एकाक्षरं स्वपुत्राय ध्यनादिभ्यः सुसंयुतम् ॥

    तेन तं साधयति स्म गणेशं सर्वसिद्धिदम् ।

    क्रमेण शान्तिमापन्नो योगिवन्द्योऽभवत्ततः ॥

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    गणेश जी की आरती

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

    जय गणेश जय गणेश...

    एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।

    माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥

    जय गणेश जय गणेश...

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

    जय गणेश जय गणेश...

    पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।

    लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥

    जय गणेश जय गणेश...

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

    जय गणेश जय गणेश...

    अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।

    बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥

    जय गणेश जय गणेश...

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

    जय गणेश जय गणेश...

    'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

    जय गणेश जय गणेश...

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

    जय गणेश जय गणेश...

    दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।

    कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी॥

    जय गणेश जय गणेश...

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

    जय गणेश जय गणेश...

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