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    Budh Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत में जरूर करें भगवान शिव की ये आरती, जीवन में होगा खुशियों का आगमन

    Updated: Wed, 19 Jun 2024 06:30 AM (IST)

    सनातन धर्म में सभी पर्व और व्रत का संबंध किसी न देवी-देवताओं से है। ऐसे में प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है। इस व्रत को करने से महादेव प्रसन्न होते हैं। यदि आप भी अपनी मनोकामनाएं पूरी करना चाहते हैं तो प्रदोष व्रत पर सच्चे मन से भगवान शिव की आरती करें। इससे प्रभु प्रसन्न होते हैं और जातक के जीवन में खुशियों का आगमन होता है।

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    Budh Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत में जरूर करें भगवान शिव की ये आरती, जीवन में होगा खुशियों का आगमन

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Bhagwan Shiv Ki Aarti: प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है। यह व्रत कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर किया जाता है। इस बार ज्येष्ठ माह का दूसरा प्रदोष व्रत आज यानी 19 जून को है। इस दिन बुधवार होने के कारण यह बुध प्रदोष व्रत होगा। इस खास अवसर पर भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना प्रदोष काल में की जाती है। मान्यता है कि प्रभु की उपासना करने से व्यक्ति को आरोग्य जीवन और लंबी आयु का वरदान प्राप्त है।

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    शिव जी की आरती (Lord Shiv Aarti)

    जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।

    ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव...॥

    एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।

    हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव...॥

    दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।

    त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव...॥

    अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।

    चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव...॥

    श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।

    सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव...॥

    कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।

    जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव...॥

    ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।

    प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव...॥

    काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।

    नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव...॥

    त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।

    कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव...॥

    महामृत्युंजय मंत्र

    ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्

    उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

    रूद्र गायत्री मंत्र

    ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

    शिव प्रार्थना मंत्र

    करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं श्रावण वाणंजं वा मानसंवापराधं ।

    विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो ॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।