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    Pradosh Vrat 2023: बुध प्रदोष व्रत पर 'कौलव करण' समेत बन रहे हैं ये 6 अद्भुत संयोग, प्राप्त होगा अक्षय फल

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Tue, 26 Sep 2023 11:40 AM (IST)

    Pradosh Vrat 2023 धार्मिक ग्रंथों में निहित है कि बुध प्रदोष व्रत तिथि पर देवों के देव महादेव की पूजा उपासना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। सा ...और पढ़ें

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    Pradosh Vrat 2023: बुध प्रदोष व्रत पर दुर्लभ 'कौलव करण' समेत बन रहे हैं ये 6 अद्भुत संयोग

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क । Pradosh Vrat 2023: सनातन पंचांग के अनुसार, हर माह कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। तदनुसार, कल यानी 27 सितंबर को बुध प्रदोष व्रत है। बुधवार के दिन पड़ने के चलते यह बुध प्रदोष व्रत कहलाता है। धार्मिक ग्रंथों में निहित है कि बुध प्रदोष व्रत तिथि पर देवों के देव महादेव की पूजा उपासना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के मानसिक और शारीरिक कष्ट दूर हो जाते हैं। अतः साधक श्रद्धा भाव से बुध प्रदोष व्रत के दिन महादेव संग माता पार्वती की पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही उनके निमित्त व्रत भी रखते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो बुध प्रदोष व्रत पर दुर्लभ 'कौलव करण' समेत 6 अद्भुत शुभ संयोग बन रहे हैं। इन योगों में महादेव की पूजा करने से साधक को कई गुना अधिक फल प्राप्त होगा। आइए, इन योगों के बारे में जानते हैं-

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    बुध प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त

    भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि  27 सितंबर को रात 10 बजकर 28 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। अतः आज बुध प्रदोष व्रत रखा जा रहा है। आज प्रदोष काल संध्याकाल 06 बजकर 12 मिनट से 08 बजकर 36 मिनट तक है।

    शुभ योग

    ज्योतिषियों की मानें तो बुध प्रदोष व्रत के दिन धृति योग का निर्माण हो रहा है। धृति योग शुभ कार्यों के लिए शुभ माना जाता है। इस योग में देवों के देव महादेव की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही शुभ कार्य भी कर सकते हैं।

    रवि योग

    बुध प्रदोष व्रत पर रवि योग का भी निर्माण हो रहा है। इस दिन रवि योग का निर्माण प्रातः काल 07 बजकर 10 मिनट से हो रहा है, जो संध्याकाल 07 बजकर 07 मिनट तक रहेगा। इस योग में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है।

    नक्षत्र योग

    बुध प्रदोष व्रत के दिन प्रातः काल 07 बजकर 10 मिनट तक धनिष्ठा नक्षत्र है। ज्योतिष धनिष्ठा नक्षत्र को शुभ कार्यों के लिए उत्तम मानते हैं। इस अवधि में भी महादेव की उपासना कर सकते हैं। साथ ही शुभ कार्य भी किया जा सकता है। इसके पश्चात, शतभिषा और पूर्व भाद्रपद नक्षत्र हैं।

    करण

    बुध प्रदोष व्रत पर दोपहर 12 बजकर 03 मिनट तक कौलव करण का निर्माण हो रहा है। ज्योतिष कौलव करण को अति शुभ मानते हैं। कौलव करण में जन्म लेने वाले जातक धार्मिक होते हैं। अतः शुभ करण में कौलव की गिनती होती है। वहीं, कौलव करण के बाद तैतिल करण का निर्माण हो रहा है, जो रात 10 बजकर 18 मिनट तक है।

    डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहे।