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Bhai Dooj 2021: आज है भाई दूज का त्योहार, जानिए पूजन का शुभ मुहूर्त और पौराणिक कथा

Bhai Dooj 2021 भाई दूज का पर्व दीपावली के दो दिन बाद मनाया जाता है। इस पर्व को यम द्वितीया भी कहा जाता है इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और उनकी बहन यमुना के पूजन का विधान है। आइए जानते हैं इसकी तिथि मुहूर्त और पौराणिक महत्व....

By Jeetesh KumarEdited By: Published: Mon, 25 Oct 2021 04:23 PM (IST)Updated: Sat, 06 Nov 2021 07:17 AM (IST)
Bhai Dooj 2021: आज है भाई दूज का त्योहार, जानिए पूजन का शुभ मुहूर्त और पौराणिक कथा
Bhai Dooj 2021: आज है भाई दूज का त्योहार, जानिए पूजन का शुभ मुहूर्त और पौराणिक कथा

Bhai Dooj 2021: दीपावली के पांच दिवसीय महोत्सव का समापन भाई दूज या यम द्वितीया के दिन होता है। भाई दूज का पर्व दीपावली के दो दिन बाद मनाया जाता है। इस पर्व को यम द्वितीया भी कहा जाता है, इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और उनकी बहन यमुना के पूजन का विधान है। राखी की तरह ही ये त्योहार भी भाई बहन को समर्पित होता है। इस दिन भाई अपनी बहनों से मिलने उनके घर जाते हैं। बहने भाई का तिलक और आरती कर उनकी नजर उतारती हैं। इस साल भाई दूज का त्योहार 06 नवंबर को पड़ रहा है। आइए जानते हैं इसकी तिथि, मुहूर्त और पौराणिक महत्व....

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भाई दूज की तिथि और मुहूर्त

हिंदी पंचांग के अनुसार भाई दूज या यम द्वितीया का पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस साल द्वितिया तिथि 05 नवंबर को रात्रि 11 बजकर 14 मिनट से लग कर, 06 नवंबर को शाम 07 बजकर 44 मिनट तक रहेगी। इस आधार पर द्वितीया तिथि 06 नवंबर को मानी जाएगी। इसलिए भाई दूज का त्योहार 06 नवंबर , दिन शनिवार को मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस दिन भाईयों को तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त दिन में 01.10 से 03.21 बजे तक है।

भाई दूज की पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार धर्मराज यम और यमुना भगवान सूर्य और उनकी पत्नी संध्या की संतान थे। लेकिन संध्या देवी भगवान सूर्य के तेज को सहन न कर पाने के कारण अपनी संतानों को छोड़ कर मायके चली गईं। अपनी जगह अपनी प्रतिकृति छाया को भगवान सूर्य के पास छोड़ गई थी। यमराज और यमुना छाया की संतान न होने के कारण मां के प्यार से वंचित रहते थे, लेकिन दोनों ही भाई बहन में आपस में खूब प्यार था। शादी होने बाद धर्मराज यम, बहन के बुलाने पर यम द्वितीया के दिन उनके घर पहुंचे थे। जहां यमुना जी ने भाई की सत्कार कर, उनको तिलक लगा कर पूजन किया। तब से इस दिन भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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