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Basant Panchami 2023: बसंत पंचमी आज, जानें माता सरस्वती की पूजा का मुहूर्त और पूजन विधि

Basant Panchami 2023 हिन्दू धर्म में बसंत पंचमी पर्व को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस विशेष दिन पर ज्ञान विद्या एवं कला की देवी माता सरस्वती की उपासना की जाती। मान्यता है कि इस विशेष दिन पर माता सरस्वती की उपासना करने से ज्ञान का आशीर्वाद मिलता है।

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraPublished: Tue, 24 Jan 2023 01:02 PM (IST)Updated: Thu, 26 Jan 2023 08:39 AM (IST)
Basant Panchami 2023: बसंत पंचमी आज, जानें माता सरस्वती की पूजा का मुहूर्त और पूजन विधि
Basant Panchami 2023: इस विधि को ध्यान रखकर करें माता सरस्वती की पूजा।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Basant Panchami 2023 Puja Vidhi and Mantra: पंचांग के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था। इसी के कारण इस दिन मां सरस्वती की विधिवत पूजा करने का विधान है। इसके साथ ही इस दिन से बसंत ऋतु की भी शुरुआत हो जाती है। ज्ञान की देवी मां सरस्वती की इस दिन विधिवत पूजा करने के साथ कुछ मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं। इसके साथ ही आज से वसंत ऋतु का शुभारंभ हो जाता है। ऐसे में बसंत पंचमी के मां सरस्वती की पूजा विधि-पूर्वक करने से सभी दुख दूर हो जाते हैं।

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बसंत पंचमी शुभ मुहूर्त (Basant Panchami 2023 Shubh Muhurat)

इस वर्ष माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 25 जनवरी दोपहर 12:34 से प्रारंभ होगी और इसका समापन 26 जनवरी 2023 को सुबह 10:28 पर होगा। पूजा का मुहूर्त 26 जनवरी को सुबह 07:12 से दोपहर 12:34 तक रहेगा। इस अवधि में विधिवत माता की आराधना करें और सरस्वती वंदना का पाठ जरूर करें। आइए जानते हैं सरस्वती पूजा की विधि और माता सरस्वती को समर्पित कुछ चमत्कारी मंत्र।

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माता सरस्वती पूजा की विधि (Mata Saraswati Puja Vidhi)

शास्त्रों में बताया गया है कि बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने से पहले व्यक्ति को सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि करना चाहिए व साफ वस्त्र धारण करने चाहिए। मां सरस्वती की पूजा के लिए पीले रंग का वस्त्र शुभ माना जाता है। इसके बाद ईशान कोण में मां सरस्वती की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें और उनको पीले रंग का वस्त्र अर्पित करें। इसके बाद माता को हल्दी, चंदन, रोली, केसर, पीले रंग का पुष्प, मिठाई और अक्षत अर्पित करें। पूजा स्थान पर किताब का छोटा वाद्य यंत्र जैसे बांसुरी को भी स्थापित करें और इनकी उपासना करें। इसके बाद मां सरस्वती को समर्पित मंत्रों का जाप करें और अंत में आरती अवश्य करें।

मां सरस्वती के मंत्र

1. या कुंदेंदुतुषारहारधवला, या शुभ्रवस्त्रावृता।

या वीणा वर दण्डमण्डित करा, या श्वेत पद्मासना।।

या ब्रहमाऽच्युत शंकर: प्रभृतिर्भि: देवै: सदा वन्दिता।

सा मां पातु सरस्वती भगवती, नि:शेषजाड्यापहा।।

2. ॐ श्री सरस्वती शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्।

कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्।।

वह्निशुद्धां शुकाधानां वीणापुस्तकमधारिणीम्।

रत्नसारेन्द्रनिर्माणनवभूषणभूषिताम्।।

सुपूजितां सुरगणैब्रह्मविष्णुशिवादिभि:।

वन्दे भक्तया वन्दिता च।।

3. माता सरस्वती मूल मंत्र- ॐ ऐं सरस्वत्यै ऐं नमः।।

4. सरस्वती गायत्री मंत्र- ॐ सरस्वत्यै विद्महे, ब्रह्मपुत्रियै धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात।।

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


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