Bada Mangal 2025: बड़े मंगल पर जरूर करें ये पाठ, मिलेगी प्रभु श्रीराम की भी कृपा
ज्येष्ठ माह जो 13 मई से शुरू हो रहा है में आने वाले मंगलवार को बड़ा मंगल के रूप में जाना जाता है। इस माह में 5 बड़े मंगल होंगे। मान्यता है कि इस दिन अगर आप पूजा में श्री हनुमत पञ्चरत्नम् का पाठ करते हैं तो इससे आपको भगवान श्री रामचंद्र की भी कृपा की प्राप्ति होती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। ज्येष्ठ माह में आने वाले मंगलवार को बड़े मंगल के रूप में मनाया जाता है। इसे बुढ़वा मंगल के नाम से भी जाना जाता है। ज्येष्ठ माह का मंगलवार इसलिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि धार्मिक मान्यता है कि इसपर ही हनुमान जी की प्रभु श्रीराम से भेंट हुई थी। ऐसे में आप बड़े मंगल की पूजा में श्रीहनुमत् पञ्चरत्नम् का पाठ कर सकते हैं। इससे आपको हनुमान जी के साथ-साथ प्रभु श्रीराम की भी कृपा की प्राप्ति हो सकती है।
श्रीहनुमत् पञ्चरत्नम् (Shri Hanumat Pancharatnam)
वीताखिल-विषयेच्छं जातानन्दाश्र पुलकमत्यच्छम् ।
सीतापति दूताद्यं वातात्मजमद्य भावये हृद्यम् ॥१॥
तरुणारुण मुख-कमलं करुणा-रसपूर-पूरितापाङ्गम् ।
सञ्जीवनमाशासे मञ्जुल-महिमानमञ्जना-भाग्यम् ॥२॥
शम्बरवैरि-शरातिगमम्बुजदल-विपुल-लोचनोदारम् ।
कम्बुगलमनिलदिष्टम् बिम्ब-ज्वलितोष्ठमेकमवलम्बे ॥३॥
दूरीकृत-सीतार्तिः प्रकटीकृत-रामवैभव-स्फूर्तिः ।
दारित-दशमुख-कीर्तिः पुरतो मम भातु हनुमतो मूर्तिः ॥४॥
वानर-निकराध्यक्षं दानवकुल-कुमुद-रविकर-सदृशम् ।
दीन-जनावन-दीक्षं पवन तपः पाकपुञ्जमद्राक्षम् ॥५॥
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हनुमान पंचरत्नम, आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा रचित है, जिसमें हनुमान जी के पांच प्रमुख गुणों का वर्णन किया गया है। ऐसा माना जाता है कि जो भी साधक श्री हनुमत पञ्चरत्नं का पाठ करता है, उसे भगवान श्री रामचंद्र की भी कृपा की प्राप्ति होती है।
एतत्-एतत्पवन-सुतस्य स्तोत्रं
यः पठति पञ्चरत्नाख्यम् ।
चिरमिह-निखिलान् भोगान् भुङ्क्त्वा
श्रीराम-भक्ति-भाग्-भवति ॥६॥
इति श्रीमच्छंकर-भगवतः
कृतौ हनुमत्-पञ्चरत्नं संपूर्णम् ॥
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हनुमान जी के मंत्र
बड़े मंगल के दिन हनुमान जी की पूजा करने से पहले प्रभु श्रीराम का ध्यान व पूजा अवश्य करें, ताकि आपको पूर्ण फल प्राप्त हो सके। इसी के साथ आपको हनुमान जी की पूजा के दौरान उनके मंत्रों का जप करने से भी विशेष लाभ मिल सकता है।
1. ॐ हं हनुमते नम:
2. ॐ नोम भगवते आंजनेयाय महाबलाय स्वाहा
3. ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्
4. ओम नमो भगवते हनुमते नम:
5. ॐ हं पवननंदनाय स्वाहा
6. हनुमान गायत्री मंत्र -
ॐ आञ्जनेयाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि।
तन्नो हनुमत् प्रचोदयात्॥
7. मनोजवम् मारुततुल्यवेगम् जितेन्द्रियम् बुद्धिमताम् वरिष्ठम्।
वातात्मजम् वानरयूथमुख्यम् श्रीरामदूतम् शरणम् प्रपद्ये॥
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