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    Bada Mangal 2025: आखिरी बड़े मंगल पर करें इस शक्तिशाली स्तोत्र का पाठ, दूर होंगे सभी संकट

    Updated: Sat, 07 Jun 2025 09:00 PM (IST)

    ज्येष्ठ माह के मंगलवार को बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल के नाम से भी जाना जाता है। इस बार ज्येष्ठ माह में 5 बड़े मंगल पड़ रहे हैं जिसमें से आखिरी यानी 5वें बड़े मंगल का व्रत 10 जून को किया जाएगा। ऐसे में अगर आप जीवन में किसी संकट या भय से गुजर रहे हैं तो बड़े मंगल पर ये पाठ जरूर करें।

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    कब है आखिरी बड़ा मंगल? (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। ज्येष्ठ माह आखिरी बड़े मंगल (Bada Mangal 2025) या बुढ़वा मंगल के दिन आप हनुमान जी को समर्पित हनुमान तांडव स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं। मान्यता है कि इस स्तोत्र का श्रद्धापूर्वक पाठ करने से भक्तों को हनुमान जी की कृपा प्राप्त हो सकती है।

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    इसी के साथ जीवन में आ रहे सभी प्रकार के कष्टों से भी मुक्ति मिल जाती है। इतना ही नहीं, यह भी माना गया है कि हनुमान तांडव स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को रोग, शोक, दुर्घटना और भूत-प्रेत जैसे संकटों से भी मुक्ति मिल सकती है। ऐसे में चलिए पढ़ते हैं श्री हनुमान तांडव स्तोत्र।

    श्रीहनुमत्ताण्डवस्तोत्रम्: (Sri Hanuman Tandav Stotram)

    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    भजे समीरनन्दनं, सुभक्तचित्तरञ्जनं, दिनेशरूपभक्षकं, समस्तभक्तरक्षकम् ।

    सुकण्ठकार्यसाधकं, विपक्षपक्षबाधकं, समुद्रपारगामिनं, नमामि सिद्धकामिनम् ॥ १॥

    सुशङ्कितं सुकण्ठभुक्तवान् हि यो हितं वचस्त्वमाशु धैर्य्यमाश्रयात्र वो भयं कदापि न ।

    इति प्लवङ्गनाथभाषितं निशम्य वानराऽधिनाथ आप शं तदा, स रामदूत आश्रयः ॥ २॥

    सुदीर्घबाहुलोचनेन, पुच्छगुच्छशोभिना, भुजद्वयेन सोदरीं निजांसयुग्ममास्थितौ ।

    कृतौ हि कोसलाधिपौ, कपीशराजसन्निधौ, विदहजेशलक्ष्मणौ, स मे शिवं करोत्वरम् ॥ ३॥

    सुशब्दशास्त्रपारगं, विलोक्य रामचन्द्रमाः, कपीश नाथसेवकं, समस्तनीतिमार्गगम् ।

    प्रशस्य लक्ष्मणं प्रति, प्रलम्बबाहुभूषितः कपीन्द्रसख्यमाकरोत्, स्वकार्यसाधकः प्रभुः ॥ ४॥

    प्रचण्डवेगधारिणं, नगेन्द्रगर्वहारिणं, फणीशमातृगर्वहृद्दृशास्यवासनाशकृत् ।

    विभीषणेन सख्यकृद्विदेह जातितापहृत्, सुकण्ठकार्यसाधकं, नमामि यातुधतकम् ॥ ५॥

    नमामि पुष्पमौलिनं, सुवर्णवर्णधारिणं गदायुधेन भूषितं, किरीटकुण्डलान्वितम् ।

    सुपुच्छगुच्छतुच्छलंकदाहकं सुनायकं विपक्षपक्षराक्षसेन्द्र-सर्ववंशनाशकम् ॥ ६॥

    रघूत्तमस्य सेवकं नमामि लक्ष्मणप्रियं दिनेशवंशभूषणस्य मुद्रीकाप्रदर्शकम् ।

    विदेहजातिशोकतापहारिणम् प्रहारिणम् सुसूक्ष्मरूपधारिणं नमामि दीर्घरूपिणम् ॥ ७॥

    नभस्वदात्मजेन भास्वता त्वया कृता महासहा यता यया द्वयोर्हितं ह्यभूत्स्वकृत्यतः ।

    सुकण्ठ आप तारकां रघूत्तमो विदेहजां निपात्य वालिनं प्रभुस्ततो दशाननं खलम् ॥ ८॥

    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

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    यह स्तोत्र हनुमान जी की महानता के साथ-साथ भक्तों के प्रति उनकी कृपा का भी वर्णन करता है। हनुमान तांडव स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को सुख की प्राप्ति होती है। इसी के साथ मानसिक शांति का भी अनुभव होता है। 

    इमं स्तवं कुजेऽह्नि यः पठेत्सुचेतसा नरः

    कपीशनाथसेवको भुनक्तिसर्वसम्पदः ।

    प्लवङ्गराजसत्कृपाकताक्षभाजनस्सदा

    न शत्रुतो भयं भवेत्कदापि तस्य नुस्त्विह ॥ ९॥

    नेत्राङ्गनन्दधरणीवत्सरेऽनङ्गवासरे ।

    लोकेश्वराख्यभट्टेन हनुमत्ताण्डवं कृतम् ॥ १०॥

    ॐ इति श्री हनुमत्ताण्डव स्तोत्रम्॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।