Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    Ashadha Amavasya 2024: अमावस्या पर इस विधि से करें पितृ तर्पण, पूर्वजों की कृपा होगी प्राप्त

    Updated: Wed, 03 Jul 2024 04:58 PM (IST)

    अमावस्या पर पितरों का तर्पण और पिंडदान किया जाता है। साथ ही पवित्र नदी में स्नान करने के बाद श्रद्धा अनुसार गरीब लोगों में अन्न वस्त्र और धन समेत आदि चीजों का दान किया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। इसके अलावा जातक को सभी दुखों से मुक्ति मिलती है।

    Hero Image
    Ashadha Amavasya 2024: ऐसे करें पितरों का तर्पण।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ashadha Amavasya 2024: पंचांग के अनुसार, आषाढ़ अमावस्या 05 जुलाई को मनाई जाएगी। चतुर्दशी तिथि के अगले दिन अमावस्या का पर्व मनाया जाता है। इस खास अवसर पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा के साथ जप-तप और दान-पुण्य करने का विधान है। साथ ही गंगा स्नान भी किया जाता है। मान्यता के अनुसार, इन कार्यों को करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।गरुड़ पुराण के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी वजह से पितृ पक्ष के दौरान पितरों का तर्पण नहीं कर पाया है, तो आषाढ़ अमावस्या के दिन तर्पण कर सकता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यह भी पढ़ें: Lord Krishna: गांधारी का ये श्राप बना श्री कृष्ण की मृत्यु का कारण, यदुवंश का भी हो गया सर्वनाथ

    कब है आषाढ़ अमावस्या 2024?

    पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 05 जुलाई 2024 को सुबह 04 बजकर 57 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन अगले दिन यानी 06 जुलाई को 04 बजकर 26 मिनट पर होगा। ऐसे में आषाढ़ अमावस्या का पर्व 05 जुलाई 2024 को मनाया जाएगा।

    पितृ तर्पण विधि

    धार्मिक मान्यता के अनुसार, आषाढ़ अमावस्या के दिन पर पितरों का श्राद्ध और तर्पण करना बेहद शुभ माना जाता है। आषाढ़ अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठें दिन की शुरुआत देवी-देवताओं के ध्यान से करें। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करें। अगर ऐसा संभव नहीं है, तो घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें। अब एक लोटे में जल, फूल और तिल डाल लें। इसके पश्चात सच्चे मन से पितरों को जल अर्पित करें। साथ ही मंत्रों का जप और पितृ चालीसा का पाठ करें।

    पितृ के मंत्र

    1. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।

    उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥

    2. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय च धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात।

    3. ॐ पितृ देवतायै नम:।

    4. ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।

    5. ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च

    नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:

    यह भी पढ़ें: श्मशान घाट में पीछे मुड़कर क्यों नहीं देखा जाता, Garud Puran में बताया गया है कारण

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।