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    Masik Shivaratri 2023: कब है मासिक शिवरात्रि? जानें-पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि एवं महत्व

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Sun, 04 Jun 2023 05:34 PM (IST)

    Masik Shivaratri 2023 मासिक शिवरात्रि पर सृष्टि के रचयिता भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही जीवन में ...और पढ़ें

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    Masik Shivaratri 2023: कब है मासिक शिवरात्रि? जानें-पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि एवं महत्व

    नई दिल्ली, आध्यात्म डेस्क |Masik Shivaratri 2023: हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। इस प्रकार आषाढ़ माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी 16 जून को है। इस दिन देवों के देव महादेव और माता पार्वती की पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही भगवान शिव के निमित्त व्रत भी रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि पर सृष्टि के रचयिता भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त समस्त दुखों का नाश होता है। अतः मनोकामना पूर्ति हेतु श्रद्धा भाव से मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शिव संग माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए। आइए, पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि एवं महत्व जानते हैं-

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    शुभ मुहूर्त

    दैनिक पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह की चतुर्दशी 16 जून को सुबह 8 बजकर 39 मिनट से शुरू होकर 17 जून को सुबह 9 बजकर 11 मिनट पर समाप्त होगी। अतः 16 जून को मासिक शिवरात्रि मनाई जाएगी। साधक 16 जून को व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा आराधना कर सकते हैं। इस व्रत के पुण्य प्रताप से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

    पूजा विधि

    मासिक शिवरात्रि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले भगवान शिव एवं माता पार्वती को प्रणाम करें। इसके बाद सभी कामों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अब आचमन कर सफेद रंग के वस्त्र धारण करें और सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। तदोउपरांत, भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा दूध, दही, फल, फूल, धूप, दीप, भांग, धतूरा और बेलपत्र से करें। पूजा के समय शिव चालीसा का पाठ करें। साथ ही महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। अंत में आरती-अर्चना कर भगवान शिव से मनोकामना करें। दिनभर उपवास रखें। शाम में आरती-अर्चना कर फलाहार करें। अगले दिन पूजा-पाठ संपन्न कर व्रत खोलें। इसके बाद जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को दान दें।

    डिसक्लेमर- 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'