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    Akshaya Navami 2024: अक्षय नवमी के दिन इस विधि से करें विष्णु चालीसा का पाठ, पूजा का पूर्ण फल होगा प्राप्त

    Updated: Tue, 05 Nov 2024 01:39 PM (IST)

    पंचांग के अनुसार इस बार अक्षय नवमी का पर्व कार्तिक माह में 10 नवंबर (Akshaya Navami 2024 Date) को मनाया जाएगा। यह तिथि भगवान विष्णु और आंवला के पेड़ को समर्पित है। यदि आप कार्यों में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो अक्षय नवमी की पूजा में विधिपूर्वक विष्णु चालीसा (Vishnu Chalisa) का पाठ करें। इससे सभी दुख संकट होंगे।

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    Akshaya Navami 2024: अक्षय नवमी के दिन करें विष्णु चालीसा का पाठ

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। अक्षय नवमी का पर्व जगत के पालनहार भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए शुभ माना जाता है। इस त्योहार को आंवला नवमी के नाम से भी जाना जाता है। पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर अक्षय नवमी (Akshaya navami 2024) मनाई जाती है। इस दिन श्रीहरि और धन की देवी मां लक्ष्मी के संग आंवला के पेड़ की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही गरीब लोगों में अन्न, वस्त्र और धन का दान करना शुभ माना जाता है। आइए इस लेख में जानते हैं विष्णु चालीसा के पाठ की विधि के बारे में।

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    इस विधि से करें विष्णु चालीसा का पाठ

    इस दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें। विष्णु चालीसा (Vishnu Chalisa Vidhi) का पाठ करते समय पीले वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है। मंदिर की सफाई करें। दीपक जलाकर पूजा-अर्चना करें। साथ ही मंत्रों का जप करें। इसके बाद सच्चे मन से विष्णु चालीसा का पाठ करें। विष्णु जी को भोग लगाएं और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए कामना करें।

    ।।भगवान विष्णु की चालीसा।। (Vishnu Chalisa In Hindi In Hindi)

    ''दोहा''

    विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।

    कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ॥

    नमो विष्णु भगवान खरारी, कष्ट नशावन अखिल बिहारी ।

    प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी, त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥

    सुन्दर रूप मनोहर सूरत, सरल स्वभाव मोहनी मूरत ।

    तन पर पीताम्बर अति सोहत, बैजन्ती माला मन मोहत ॥

    शंख चक्र कर गदा विराजे, देखत दैत्य असुर दल भाजे ।

    सत्य धर्म मद लोभ न गाजे, काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥

    सन्तभक्त सज्जन मनरंजन, दनुज असुर दुष्टन दल गंजन ।

    सुख उपजाय कष्ट सब भंजन, दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥

    पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि की शुरुआत 09 नवंबर को देर रात 10 बजकर 45 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 10 नवंबर को रात 09 बजकर 01 मिनट पर होगा। सनातन धर्म में उदया तिथि का अधिक महत्व है। ऐसे में अक्षय नवमी का पर्व 10 नवंबर को मनाया जाएगा।

    पाप काट भव सिन्धु उतारण, कष्ट नाशकर भक्त उबारण ।

    करत अनेक रूप प्रभु धारण, केवल आप भक्ति के कारण ॥

    धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा, तब तुम रूप राम का धारा ।

    भार उतार असुर दल मारा, रावण आदिक को संहारा ॥

    आप वाराह रूप बनाया, हिरण्याक्ष को मार गिराया ।

    धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया, चौदह रतनन को निकलाया ॥

    अमिलख असुरन द्वन्द मचाया, रूप मोहनी आप दिखाया ।

    धार्मिक मान्यता है कि अक्षय नवमी के दिन विष्णु चालीसा का पाठ करने से जातक को सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। इसलिए अक्षय नवमी के दिन विष्णु चालीसा का पाठ करना उत्तम माना जाता है।

    देवन को अमृत पान कराया, असुरन को छवि से बहलाया ॥

    कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया, मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया ।

    शंकर का तुम फन्द छुड़ाया, भस्मासुर को रूप दिखाया ॥

    वेदन को जब असुर डुबाया, कर प्रबन्ध उन्हें ढुढवाया ।

    मोहित बनकर खलहि नचाया, उसही कर से भस्म कराया ॥

    असुर जलन्धर अति बलदाई, शंकर से उन कीन्ह लड़ाई ।

    हार पार शिव सकल बनाई, कीन सती से छल खल जाई ॥

    सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी, बतलाई सब विपत कहानी ।

    तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी, वृन्दा की सब सुरति भुलानी ॥

    देखत तीन दनुज शैतानी, वृन्दा आय तुम्हें लपटानी ।

    हो स्पर्श धर्म क्षति मानी, हना असुर उर शिव शैतानी ॥

    तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे, हिरणाकुश आदिक खल मारे ।

    गणिका और अजामिल तारे, बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे ॥

    हरहु सकल संताप हमारे, कृपा करहु हरि सिरजन हारे ।

    देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे, दीन बन्धु भक्तन हितकारे ॥

    चाहता आपका सेवक दर्शन, करहु दया अपनी मधुसूदन ।

    जानूं नहीं योग्य जब पूजन, होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन ॥

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     शीलदया सन्तोष सुलक्षण, विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण ।

    करहुं आपका किस विधि पूजन, कुमति विलोक होत दुख भीषण ॥

    करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण, कौन भांति मैं करहु समर्पण ।

    सुर मुनि करत सदा सेवकाई, हर्षित रहत परम गति पाई ॥

    दीन दुखिन पर सदा सहाई, निज जन जान लेव अपनाई ।

    पाप दोष संताप नशाओ, भव बन्धन से मुक्त कराओ ॥

    सुत सम्पति दे सुख उपजाओ, निज चरनन का दास बनाओ ।

    निगम सदा ये विनय सुनावै, पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै ॥

    ॥ इति श्री विष्णु चालीसा ॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।