Aarti ke Niyam: जान लें भगवान की आरती करने का सही तरीका, बनी रहेगी बरकत
Aarti ke Niyam हिन्दू घरों में रोज सुबह शाम पूजा और आरती की जाती है। हिंदू धर्म में पूजा-पाठ के कुछ नियम बताए गए हैं। जिनका पालन किया जाए तो घर में सुख-समृद्धि बनी है। वहीं इन नियमों की अनदेखी करने पर पूजा का विपरित फल भी प्राप्त हो सकता है। इसलिए इन नियमों का ध्यान रखा जाना जरूरी है।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Aarti ke Niyam: मान्यताओं के अनुसार, नियमित रूप से पूजा-पाठ करने से घर में सुख शांति और बरकत आती है। देवी-देवताओं की पूजा करते समय आरती करना जरूरी माना गया है। इसके बिनी कोई भी पूजा अधूरी समझी जाती है। आइए जानते हैं कि पूजा के बाद आरती करने का सही तरीका क्या है।
कितने प्रकार की होती है आरती
आरती मुख्यतः 7 प्रकार की होती है।
- मंगला आरती
- पूजा आरती
- श्रृंगार आरती
- भोग आरती
- धूप आरती
- संध्या आरती
- शयन आरती
आरती करने का सही तरीका
आरती करने की शुरुआत भगवान के चरणों से करनी चाहिए। सबसे पहले आरती को चार बार भगवान के चरणों में, दो बार नाभि पर, एक बार मुखमण्डल पर और सात बार सभी अंगों पर उतारें। इस तरह के 14 बार आरती घुमाने से चौदह भुवन जो भगवान में समाए हैं उन तक आपका प्रणाम पहुंचता है।
क्या कहता है स्कंद पुराण
स्कंद पुराण में भी आरती के कुछ नियम बताए गए हैं। जिसके अनुसार, भगवान की आरती गाय के दूध से बने घी में डूबी हुई रुई की 5 बत्तियों से की जानी चाहिए। इसे पंच प्रदीप कहा जाता है। साथ ही स्कंद पुराण में इस बात का भी उल्लेख मिलता है कि यदि कोई व्यक्ति मंत्र नहीं जानता, पूजा की संपूर्ण विधि नहीं जानता। लेकिन फिर भी भगवान की आरती और पूजा में श्रद्धापूर्वक शामिल होकर आरती करता है तो उसकी पूजा स्वीकार हो जाती है।
इन बातों का रखें ध्यान
आरती हमेशा खड़े होकर करनी चाहिए। आरती करते समय हमेशा थोड़ा झुककर आरती करें। आरती की थाली तांबे, पीतल या फिर चांदी आदि धातु की होनी चाहिए। आरती की थाली में गंगाजल, कुमकुम, चावल, चंदन, अगरबत्ती, फूल और भोग चढ़ाने के लिए फल या मीठा जरूर रखें।
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