सिंगापुर का श्री मरिअम्मन मंदिर समर्पित है मातृ शक्ति को
विदेश में बने प्रमुख भारतीय मंदिरों में से एक है श्री मरिअम्मन मंदिर जो सिंगापुर में स्थित है।
प्राचीनतम मंदिर
श्री मरिअम्मन मंदिर सिंगापुर का प्राचीनतम हिन्दू मंदिर माना जाता है। यह अगम मत का मंदिर है जो दक्षिण की द्रविड़ स्थापत्य शैली में बनाया गया है। ब्रिटिश शासन काल के दौरान सिंगापुर पहुंचे तमिल व्यक्ति नरायण पिल्लई ने 1827 में इस मंदिर का र्निमाण करवाया। इसके बाद 2010 में मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया। श्री मरिअम्मन का प्रवेश द्वार दक्षिण भारतीय शैली के भव्य गोपुरम शैली में बना है। गोपुरम एक स्मारकीय अट्टालिका होती है जो सबसे ऊपर किरीट कलश से शोभायमान होती है।
देवी का मंदिर
श्री मरिअम्मन मंदिर दक्षिण के ग्रामीण इलाकों में पूजी जाने वाली मातृ शक्ति देवी मरिअम्मा को समर्पित हैं। इन्हें बीमारियों से रक्षा करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। हालाकि अब यहां अन्य देवी देवताओं के भी भव्य मंदिर और मूर्तियां बन प्रतिष्ठित हो गई हैं, परंतु परंपरा अनुसार मुख्य रूप से स्थापित देवी के नाम पर ही इस मंदिर को श्री मरिअम्मन मंदिर कहा जाता है। इस मंदिर में सिद्धि विनायक की भव्य मूर्ति है।
मंदिर निर्माण से जुड़ी कहानियां
बताते हैं इस मंदिर का निर्माण करने वाले नरायण पिल्लई ईस्ट इंडिया कंपनी में एक् क्लर्क थे जो सर स्टैमफोर्ड रैफल्स के साथ सिंगापुर गए थे, जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपना बेस वहां स्थापित करने की योजना बनाई थी। बाद में और भी कई दक्षिण भारतीय हिंदु सिंगापुर पहुंचे। उनके पूजा पाठ करने के लिए पिल्लई ने सबसे पहले 1819 में इस मंदिर का निर्माण वर्तमान मंदिर से दूर एक स्थान पर करवाया था। बाद में उस स्थान पर मंदिर में पूजा अर्चना के लिए जल संकट उत्पन्न होने पर 1821 में वर्तमान मंदिर का निर्माण चाइनाटाउन के नाम से मशहूर इस स्थान पर शुरू किया गया।