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Trinetra Ganesh Temple Ranthambore: ईमेल और व्हाटसअप के जमाने में चिट्ठी वाले गणेश जी, राजस्थान में है मंदिर

Trinetra Ganesh Temple Ranthambore ईमेल और व्हाटसअप के इस युग में आप चिट्ठी लिखना तो भूल ही गए होंगे। चिट्ठियां तो मानों अब स्कूल के स्लेबस तक ही सिमट कर रह गई हैं। लेकिन क्या आपको पता है देश में एक मंदिर ऐसा है...

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Wed, 30 Sep 2020 11:00 AM (IST)Updated: Wed, 30 Sep 2020 03:14 PM (IST)
Trinetra Ganesh Temple Ranthambore: ईमेल और व्हाटसअप के जमाने में चिट्ठी वाले गणेश जी, राजस्थान में है मंदिर
ईमेल और व्हाटसअप के जमाने में चिट्ठी वाले गणेश जी, राजस्थान में है मंदिर

Trinetra Ganesh Temple Ranthambore: ईमेल और व्हाटसअप के इस युग में आप चिट्ठी लिखना तो भूल ही गए होंगे। चिट्ठियां तो मानों अब स्कूल के स्लेबस तक ही सिमट कर रह गई हैं। लेकिन क्या आपको पता है देश में एक मंदिर ऐसा है जहां आज भी चिट्ठियां लिखी जाती हैं और भगवान को निमंत्रण दिया जाता है।

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हम बात कर रहे हैं राजस्थान के सवाईमाधोपुर में स्थित रणथम्बौर किले के गणेश मंदिर की। यहां त्रिनेत्री गणेश मंदिर है। पूरे देश से लोग मांगलिक कार्य के दौरान सपरिवार गणेश निमंत्रण के लिए त्रिनेत्री गणेश जी को बकायदा चिट्ठी लिखकर निमंत्रण देते हैं। घर में शादी ब्याह हो तो गणेश निमंत्रण अक्सर आसपास के प्रसिद्ध मंदिर में दिया जाता है लेकिन परम्परा है कि लोग शादी कार्ड रणथम्बौर में डाक या कुरियर से भिजवाते हैं। यहां भेजे जाने वाले कार्ड्स या चिट्ठियों पर बस इतना ही लिखना काफी होता है, श्री गणेज जी, रणथम्बौर। यहां पहुंचने वाले कार्ड्स को बाकायदा गणेश जी प्रतिमा के सामने लाकर उनके कान में पढ़कर सुनाया जाता है। साथ ही साथ गणेश जी के चरणों में कार्ड रख मांगलिक कार्य निर्विघ्न होने की कामना की जाती है।

सवाईमाधोपुर के टाइगर सफारी के लिए लाखों लोग आते हैं। लेकिन रिलीजियस टूरिज्म के चलते लाखों श्रद्धालु यहां गणपति दर्शन को पहुंचते हैं। हर साल गणेश चतुर्थी पर यहां बड़ा मेला लगता है। इस बार कोरोना के चलते रंगत फीकी रही। यहां गणेश जी की प्रतिमा आम मूर्तियों से अलग है। गणेश जी के तीन आंखे हैं, इस कारण इसे त्रिनेत्र गणेश मंदिर कहा जाता है। गणेश जी यहां रिद्धि सिद्धि और अपने वाहन मूषक के साथ हैं। जब भी आप यहां दर्शन को जाएंगे तो प्रसाद संभाल कर रखिएगा क्योंकि बाहर असंख्य बंदर नजर आएंगे। कहते हैं इस मंदिर को दसवीं सदी में रणथम्बौर के राजा हमीर ने बनावाया था। मंदिर के ठीक बाहर एक बड़ा जोहड़ या तालाब भी है जो पहले कभी बारिश में भर जाया करता था। कई बार टाइगर यहां पानी पीने के लिए आ जाया करते थे।


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