ये हैं भारत के तीन चमत्कारिक शनि सिद्ध पीठ
शनि के चमत्कारिक सिद्ध पीठों में तीन पीठ ही मुख्य माने जाते हैं। आइये जानें इनके बारे में कुछ खास बातें।
शिंगणापुर का सिद्ध पीठ
शिंगणापुर गांव मे शनिदेव का सबसे चर्चित मंदिर है। इस मंदिर का प्रभाव इतना जाता है कि मंदिर परिसर ही नहीं पूरे गांव में आज तक किसी ने अपने घर में ताला नही लगाया। इसी बात से अन्दाज लगाया जा सकता है कि ये कितना प्रभावशाली सिद्ध पीठ है। आज तक के इतिहास में किसी चोर ने आकर इस गांव में चोरी नही की, अगर किसी ने प्रयास भी किया है तो वह फ़ौरन ही पकड़ा गया। यहां दर्शन, पूजा और तेल स्नान कराने से शनिदेव तुरन्त अपना आर्शिवाद प्रदान करते हैं। यहां शनिदेव की प्रतिमा एक काली चट्टान के रूप में खुले में स्थापित है। शनि प्रतिमा को मंदिर के किसी कमरे के अंदर, छत के नीचे नहीं बनाया गया है।
शनिश्चरा मन्दिर
कहते हैं ग्वालियर के इस मंदिर में स्थापित शनि पिंड महावीर हनुमानजी के द्वारा लंका से फ़ेंका हुआ अलौकिक शनिदेव का पिण्ड है, शनिचरी अमावस्या को यहां मेला लगता है। और भक्त शनि देव पर तेल चढाकर उनसे गले मिलते हैं। साथ ही पहने हुये कपडे जूते आदि वहीं पर छोड़ कर समस्त दरिद्रता को त्याग कर और कलेशों से छूट कर अपने अपने घरों को चले जाते हैं। मान्यता है कि इस पीठ की पूजा करने पर भी तुरन्त फ़ल मिलता है।
कोशी में कोकिला वन
यह सिद्ध पीठ कोसी से 6 किलोमीटर दूर और नन्द गांव से सटा हुआ, कोकिला वन में स्थित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस वन में द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने शनि को दर्शन दिया, और यह आशीर्वाद भी दिया कि यह वन उनका है। जो इस वन की परिक्रमा करेगा, और शनिदेव की पूजा अर्चना करेगा, वह माधव की कृपा के साथ शनिदेव की कृपा प्राप्त कर सकेगा। जो भी इस शनि सिद्ध पीठ के प्रति दर्शन, पूजा पाठ करेगा और सदभावना से विश्वास करेगा, वह शनि के किसी भी उपद्रव से ग्रस्त नही होगा। प्रत्येक शनिवार को यहां मेला लगता है।