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नाम है झारखंड मंदिर, जगह है राजस्‍थान और मंदिर की डिजाइन दक्षिण भारत जैसी

राजस्‍थान में एक ऐसा मंदिर है जिसका नाम तो झारखंड मंदिर है और उसकी डिजाइन दक्षिण भारतीय मंदिरों जैसी है। जानें क्‍या है वजह...

By abhishek.tiwariEdited By: Published: Tue, 01 Aug 2017 12:49 PM (IST)Updated: Tue, 01 Aug 2017 12:49 PM (IST)
नाम है झारखंड मंदिर, जगह है राजस्‍थान और मंदिर की डिजाइन दक्षिण भारत जैसी
नाम है झारखंड मंदिर, जगह है राजस्‍थान और मंदिर की डिजाइन दक्षिण भारत जैसी

राजस्‍थान का झारखंड मंदिर

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राजस्‍थान की राजधानी जयपुर में प्रेमपुरा नाम का एक गांव है। वैसे तो यह छोटा सा गांव है लेकिन यहां स्‍िथत महादेव मंदिर दूर-दूर तक प्रसिद्ध है। इस मंदिर का नाम है 'झारखंड महादेव मंदिर' पहली बार सुनने में थोड़ा अजीब लगता है। क्‍योंकि हर कोई सोचता है मंदिर बना है जयपुर में लेकिन उसका नाम झारखंड क्‍यों है। दरअसल यहं मंदिर काफी सघन और हरियाली वाले इलाके में है। आपको चारों तरफ खूब पेड़-पौधे मिलेंगे। ऐसे में भक्‍तों के लिए यह आकर्षण का केंद्र बना है।

सौ साल पहले ऐसा था

यह मंदिर जैसा आज दिखता है, पहले ऐसा नहीं था। साल 1918 में जब मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा था। तब यहां सिर्फ एक छोटा सा कमरा हुआ करता था। यानी कि शिवलिंग था जोकि चार ओर दीवार से ढ़का था। उस वक्‍त इसको ऐसे ही छोड़ दिया गया। बाद में साल 2000 में जब मंदिर के जीर्णोद्धार की बात आई तो इसे नया रूप दिया गया। और यह नई डिजाइन साउथ के मंदिरों जैसी बनाई गई।

मिला-जुला है रूप

इस मंदिर का बाहरी हिस्‍सा बिल्‍कुल साउथ के मंदिरों जैसा ही है। मंदिर का मुख्‍य द्वार और गर्भ गृह नार्थ के मंदिरों जैसा लगेगा। हालांकि द्वार और गर्भ गृह के मध्‍य एक पेड़ आ गया था। जिसकी वजह से इन दोनों में थोड़ा अंतर है।

साउथ के मंदिर जैसी डिजाइन बनाने की यह है वजह

झारखंड महादेव मंदिर की डिजाइन को लेकर अक्‍सर लोग सोचने पर मजबूर हो जाते हैं। राजस्‍थान में स्‍िथत होने के बावजूद यह तिरुचिरापल्‍ली मंदिर जैसा क्‍यों दिखता है। इसके पीछे एक बड़ी वजह है। दरअसल साल 2000 में जब इस मंदिर को पुन:निर्माण हो रहा था। तो इसकी जिम्‍मदारी ट्रस्‍ट के चेयरमैन जय प्रकाश सोमानी को दी गई थी। सोमानी अक्‍सर दक्षिण भारत के टूर पर जाया करते थे। उन्‍हें वहां के मंदिर काफी पसंद आए। इसलिए सोमानी से सोचा क्‍यों न झारखंड मंदिर को भी वैसा ही लुक दिया जाए। बस फिर क्‍या था सोमानी ने साउथ से करीब 300 कारीगरों को बुलाया और मंदिर का निर्माण करवाया। 


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