शक्ति पीठ तारा मंदिर
बासुकीनाथ स्थित पवित्र शिवगंगा से महज 500 मीटर की दूरी पर श्मशान घाट के किनारे स्थित मां तारा का मंदिर जागृत शक्ति पीठ के रूप में विख्यात है। वर्षो पूर्व यहां निगमानंद वन केशरी दंडी स्वामी अद्वैतानंद सरस्वती के द्वारा नदी व श्मशान घाट पर एक अत्यंत रमणीक आश्रम की स्थापना की गयी थी। वर्षो पूर्व पलास के जंगलों से आच्छादित
बासुकीनाथ। बासुकीनाथ स्थित पवित्र शिवगंगा से महज 500 मीटर की दूरी पर श्मशान घाट के किनारे स्थित मां तारा का मंदिर जागृत शक्ति पीठ के रूप में विख्यात है। वर्षो पूर्व यहां निगमानंद वन केशरी दंडी स्वामी अद्वैतानंद सरस्वती के द्वारा नदी व श्मशान घाट पर एक अत्यंत रमणीक आश्रम की स्थापना की गयी थी।
वर्षो पूर्व पलास के जंगलों से आच्छादित सैकड़ों उपयोगी जड़ी-बूटियों व दुर्लभ फल-पुष्पों के पेड़ों के बीच स्थित इस आश्रम में अद्वैतानंद सरस्वती द्वारा 108 मुंडासन की स्थापना की गयी थी। विभिन्न तंत्र-मंत्र साधकों के लिए साधना का केन्द्र रहा यह स्थल श्रद्धालुओं के आस्था का भी केन्द्र है। वर्ष 1994 में अद्वैतानंद सरस्वती के ब्रह्मलीन होने के पश्चात उनकी शिष्या मां शाकम्भरी सरस्वती साधिका चक्त्र चुड़ामणी ने गद्दी संभाली व अपने साधना के बल पर खूब जनकल्याण किया जिस कारण इस आश्रम की प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैल गयी। मां शाकम्भरी के देहावसान पश्चात 29 सितम्बर वर्ष 2010 में आश्रम महंत दिव्यानंद सरस्वती जी ने इस आश्रम की गद्दी संभाली, उनके बाद वर्तमान में यह गद्दी स्वामी जी महाराज संभाल रहे है। इस पवित्र व मनमोहन शक्ति पीठ में काफी संख्या में महिलाएं भी संतान प्राप्ति की कामना को लेकर पहुंचती है। हजारों भक्तों की यहां मनोकामना भी पूर्ण हुई। यहां पर जिया देवी माता का भी प्रसिद्ध मंदिर है। मान्यता है कि यह भी कि दर्शन मात्र से सारी मनोकामना पूर्ण हो जाती है। इस आश्रम में वर्ष भर तंत्र-मंत्र साधकों का जमावड़ा लगा रहता है। खासकर दुर्गा पूजा, नवरात्र, कालीपूजा, भैरवाष्टमी, अमावस्या को साधक सिद्धि प्राप्त के लिए श्मशान में जुटते हैं।
इस आश्रम के पंडित दिवाकर झा ने बताते है गुरु पूर्णिमा के दिन भी यहां विशेष पूजा होती है। इस आश्रम में जड़ी-बूटियों द्वारा सभी रोगों का सफल इलाज भी होता है। श्री झा बताते हैं यहां तंत्र-मंत्र व वैदिक पूजन का विधान है।
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