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    Sawan 2025: श्री ठाकुरद्वारा मंदिर में एक साथ कर सकते हैं द्वादश ज्योतिर्लिंगों के दर्शन

    Updated: Wed, 16 Jul 2025 10:46 AM (IST)

    सावन में शिवलयों पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। लोग अपने आप-पास के शिव मंदिरों में जाकर भक्तिभाव से शिव जी की आराधना करते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करते हैं। सावन सोमवार के दिन शिव जी के निमित्त व्रत करने और शिवलिंग का जलाभिषेक करने का भी विशेष महत्व माना गया है।

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    Sawan 2025 सावन में करें इस मंदिर के दर्शन।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आज हम आपको गाजियाबाद में स्थित श्री ठाकुरद्वारा मंदिर के इतिहास व कुछ खास विशेषताओं के बारे में बताने जा रहे हैं। श्री ठाकुरद्वारा मंदिर में द्वादश ज्योतिर्लिंग शिवालय, शिव परिवार के साथ श्रीराम परिवार, मां गंगा, संतोषी माता, मां सरस्वती, गायत्री माता, शेरावाली, शांकभरी देवी, राधा-कृष्ण, श्री राम दरबार, गरुण, नारायण, दक्षिणमुखी हनुमान जी आदि देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं।

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    मंदिर का इतिहास

    कहा जाता है कि करीब 150 साल पहले यहां पीपल के पेड़ के नीचे एक संत तपस्या करते थे। इनको श्रीराम के दर्शन हुए। उन्होंने उस दौरान यहां श्री राम दरबार की मूर्ति के साथ मंदिर की स्थापना की। मंदिर में द्वादश ज्योतिर्लिंग शिवालय की स्थापना 1990 में हुई थी। इसके बाद भक्तों के सहयोग से यहां लगातार देवी-देवताओं की मूर्तियों की स्थापना होती रही। फिलहाल यहां विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं।

    मंदिर की विशेषताएं

    मंदिर ट्रस्ट की ओर से यहां करीब डेढ़ साल से फिजियोथेरेपी की सेवा शुरू की है। शाम चार बजे से शाम सात बजे तक निःशुल्क फिजियोथेरेपी की सेवा दी जाती है। मंदिर में श्रीराम नवमी एवं श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है।

    सावन माह में भक्त भगवान शिव की पूजा-अर्चना के लिए मंदिर आते हैं। यहां बांके बिहारी का मंदिर है, जिसमें 108 शालिग्राम हैं व ठाकुरजी हैं। इनको रोज सुबह स्नान कराने के बाद भोग व पूजा-अर्चना की जाती है। शाम को संध्या शृंगार के दर्शन होते हैं।

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    (Picture Credit: Freepik)

    क्या कहते हैं मंदिर के महंत

    श्री ठाकुरद्वारा मंदिर में करीब 10 साल से लीलाधर शास्त्री महंत हैं। वह बताते हैं कि मंदिर का इतिहास करीब 150 साल पुराना है। मंदिर में सावन माह के सोमवार व शिवरात्रि पर बड़ी संख्या में भक्त पूजा-अर्चना के लिए आते हैं।

    महिलाएं भजन-कीर्तन भी करती हैं। वहीं, मंदिर के पुजारी विष्णु शास्त्री का कहना है कि मंदिर में सावन के पूरे माह विशेष तौर पर सावन के सोमवार एवं शिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है। इसके अलावा श्रीराम नवमी एवं कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार विशेष तौर पर मनाया जाता है। 

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