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    मार्तण्ड मंदिर

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    Updated: Wed, 05 Jun 2013 12:42 PM (IST)

    कश्मीर में अशांति के दो दशकों में जिन मंदिरों को सबसे ज्यादा उपेक्षा झेलनी पड़ी, उनमें से एक है अनंतनाग जिले में म˜न स्थित मार्तण्ड मंदिर। यह उत्तर भारत में सूर्य के गिने-चुने मंदिरों में से प्रमुखतम माना जाता है। कहा जाता है कि म˜न भी मार्तण्ड का ही अपभ्रंश है। सूर्य मार्तण्ड ऋि

    कश्मीर में अशांति के दो दशकों में जिन मंदिरों को सबसे ज्यादा उपेक्षा झेलनी पड़ी, उनमें से एक है अनंतनाग जिले में म˜न स्थित मार्तण्ड मंदिर। यह उत्तर भारत में सूर्य के गिने-चुने मंदिरों में से प्रमुखतम माना जाता है।

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    कहा जाता है कि म˜न भी मार्तण्ड का ही अपभ्रंश है। सूर्य मार्तण्ड ऋषि कश्यप व अदिति के तेरहवें पुत्र माने जाते हैं। हिंदू मिथकों में कश्मीर का जिक्र भी कई जगहों पर आता है। मिथकों के अनुसार, 2600 ई.पू. में पांडववंशीय रामदेव जी ने यहां मंदिर बनवाया। उसके बाद 742 ई. में राजा ललितादित्य ने मार्तण्ड इलाके में मंदिर बनवाए। उसके बाद नौवीं सदी के अंत में राजा अवंतीवर्मन और दसवीं सदी में राजा कलशक ने मंदिर का विकास कराया। हर काल में इस मंदिर का माहात्म्य बना रहा।

    बताया यह भी जाता है कि मुगल शासकों- शाहजहां से लेकर औरंगजेब तक के काल में भी इस इलाके का काफी विकास हुआ। मंदिर का जिक्र कल्हण की राजतरंगिणी में भी आता है। चूंकि यह मंदिर पहलगाम के रास्ते के नजदीक है, इसलिए इसकी मान्यता अमरनाथ यात्रा से भी जुड़ी है। यहां सरोवर में मछलियों को दाना खिलाए बगैर यह यात्रा पूरी नहीं मानी जाती।

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