Mahashivratri 2024: एक ही जलहरी में विराजमान हैं दो शिवलिंग, उत्पत्ति को लेकर मिलती है रोचक कथा
भारत में ऐसे कई मंदिर मौजूद हैं जो अपनी मान्यताओं को लेकर लोकप्रिय हैं। इन मंदिरों में लोग अपनी मुराद लेकर पहुंचते हैं और यह कामना करते हैं कि उनकी सभी तकलीफें दूर हो जाएंगी। आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां जलहरी में दो शिवलिंग विराजमान हैं। साथ ही इस मंदिर से जुड़ी और भी कई मान्यताएं हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Alopishankar Mahadev Temple: आज यानी 08 मार्च को देशभर में महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन शिवभक्त, महादेव की भक्ति में लीन रहते हैं। मंदिरों में भी शिव जी के दर्शन और पूजा के लिए भारी भीड़ उमड़ती है। इसी तरह मध्य प्रदेश में स्थित कैलारस का अलोपी शंकर महादेव मंदिर कई मायनों में खास है। यह मंदिर 700 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है।
ये है खासियत
आमतौर एक जलहरी में एक ही शिवलिंग विराजमान होता है, लेकिन अलोपी शंकर महादेव मंदिर में एक ही जलहरी में दो पिण्डियां विराजमान हैं। इसी कारण से इस मंदिर को काफी ख्याति प्राप्त हुई है। अलोपी शंकर महादेव मंदिर में लगभग दस वर्षों से अखंड रामायण का पाठ किया जा रहा है।
साथ ही अखंड दीपक भी जलाया जाता है। वैसे तो प्रतिदिन यहां भक्तों की भीड़ देखी जा सकती है, लेकिन सावन और महाशिवरात्रि के विशेष अवसर पर यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। साथ ही शिवरात्रि के पर्व पर यहां भक्तों द्वारा कावड़ भी चढ़ाई जाती है। साथ ही महाशिवरात्रि पर्व पर यहां एक विशाल मेले का आयोजन भी किया जाता है।
कैसे प्रकट हुए शिवलिंग
मान्यता है कि लगभग एक हजार वर्ष पूर्व सिद्ध बाबा बौद्ध गिरी के अदृश्य होने के बाद अलोपी शंकर उनके स्थान से प्रकट हुए थे। इस मंदिर को लाखा बंजारे ने बनवाया था। इसके पीछे एक कथा भी मिलती है, जिसके अनुसार, एक बार लाखा बंजारा शक्कर की बोरियां लेकर बाजार जा रहा था। उसी समय एक सिद्ध बाबा ने उनसे बोरियों के विषय में पूछा। इस पर बंजारा ने उपहास करते हुए कहा कि बोरियों है।
यह सुनकर सिद्ध बाबा ने उसने कहा कि तुम्हारा वचन सत्य हो और वह दूर जाकर बैठ गए। जब लाखा बंजारा, बाजार पहुंचा, तो बोरियों में से शक्कर की जगह नमक ही निकला। इस पर वह भागा-भागा उसी पहाड़ी पर पहुंचा, जहां बौद्ध गिरी बाबा बैठे थे, लेकिन उसके पहुंचने तक वह बाबा, अदृश्य हो चुके थे। जिस स्थान पर वह बैठे थे उस स्थान से दो शिवलिंग निकले, जिन्हें अलोपी शंकर महादेव के नाम से जाना जाता है।
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