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    Mahashivratri 2023: त्रिदेव रूप में यहां वास करते हैं महादेव, पढ़िए त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा

    By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo Mishra
    Updated: Tue, 14 Feb 2023 04:56 PM (IST)

    Mahashivratri 2023 धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग का स्मरण करने से और भगवान शिव की उपासना करने से सभी प्रकार के दुःख दर्द दूर हो जाते हैं। आज हम बात करेंगे भगवान शिव के आठवें ज्योतिर्लिंग की।

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    Mahashivratri 2023: पढ़िए त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा।

    नई दिल्ली, अध्यात्मिक डेस्क | Mahashivratri 2023, Trimbakeshwar Jyotirlinga Story: देशभर में 18 फरवरी 2023, शनिवार के दिन महाशिवरात्रि पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना करने से सभी कष्ट व दुःख दूर हो जाते हैं। साथ ही साधकों को मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। शास्त्रों में बताया गया है कि इस विशेष दिन पर भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग में से किसी एक के भी दर्शन करने से या सभी द्वादश ज्योतिर्लिंग का स्मरण करने से भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है। आज हम द्वादश ज्योतिर्लिंग के आठवें ज्योतिर्लिंग की बात करेंगे, जिसका वर्णन शिव पुराण में भी किया गया है। आइए पढ़ते हैं त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा और कुछ रोचक बातें।

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    त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा (Trimbakeshwar Jyotirlinga Katha)

    पौराणिक किवदंतियों के अनुसार महर्षि गौतम और उनकी पत्नी ब्रह्मगिरी पर्वत पर एक आश्रम में निवास करते थे। लेकिन आश्रम के कई ऐसे ऋषि-मुनि थे जो महर्षि गौतम के प्रति ईर्ष्या का भाव रखते थे और उन्हें नीचा दिखाने की हर समय कोशिश करते थे। ईर्ष्यालु ऋषियों ने महर्षि गौतम को आश्रम से बाहर निकालने की योजना बनाई और उनपर गौहत्या का आरोप लगाया। इस पाप से मुक्ति के लिए गौतम ऋषि ने मां गंगा को धरती पर लाने का विचार किया और एक शिवलिंग की स्थापना कर तपस्या में लीन हो गए। गौतम ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए।

    भगवान शिव ने गौतम ऋषि से वर मांगने के लिए कहा, तब महर्षि जी ने देवी गंगा को इस स्थान पर प्रकट होने का वरदान मांगा। लेकिन इसपर मां गंगा ने यह शर्त रखी की यदि भगवान शिव इस स्थान पर रहेंगे, तभी वह यहां रहेंगी। इस शर्त को मानते हुए भगवान शिव ने त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग का रूप धारण किया और वह यहीं पर बस गए। फिर गंगा नदी गोदावरी के रूप में बहने लगीं।

    यहां बसते हैं त्रिदेव

    त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में तीन छोटे शिवलिंग हैं, जिन्हें त्रिदेव- ब्रह्मा, विष्णु और महेश का रूप में पूजा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और पूर्व जन्म व इस जन्म में किए गए पापों से मुक्ति मिल जाती है।

    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।