Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Mahashivratri 2023: रात्रि के समय यहां वास करते हैं महादेव, पढ़िए घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा

    By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo Mishra
    Updated: Sat, 18 Feb 2023 05:02 PM (IST)

    Mahashivratri 2023 शिव पुराण में भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग के विषय में विस्तार से बताया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिग का स्मरण करने से साधक को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। आइए पढ़ते हैं आखिरी ज्योतिर्लिंग की कथा।

    Hero Image
    Mahashivratri 2023: महाशिवरात्रि पर पढ़िए घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी कथा।

    नई दिल्ली, अध्यात्मिक डेस्क | Mahashivratri 2023, Grishneshwar Jyotirlinga Katha: आज देशभर में महाशिवरात्रि पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इस विशेष दिन पर भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना करने से सभी कष्टों से मुक्ति प्राप्त हो जाती है। शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि आज के दिन भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग का स्मरण करने से और घर बैठे ही उनकी पूजा करने से भक्तों को विशेष लाभ मिलता है। शिव पुराण में भी भगवान शिव के सभी इन सभी ज्योतिर्लिंग के विषय में विस्तार से बताया गया है। इन सभी में से अंतिम ज्योतिर्लिंग अर्थात घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से ही भक्तों की सभी पाप और कष्ट दूर हो जाते हैं। आइए जानते हैं घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी पौराणिक कथा और महत्व।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग पौराणिक कथा (Grishneshwar Jyotirlinga Katha in Hindi)

    किवदंतियों के अनुसार देवगिरी पर्वत के पास सुधर्मा नामक ब्राह्मण अपनी पत्नी सुदेहा के साथ रहता था। उन दोनों को एक भी संतान नहीं था, जिसके कारण सुदेहा ने अपने पति का विवाह छोटी बहन घुष्मा से करवा दिया जो भगवान शिव की परम भक्त थी। घुष्मा नितदिन भगवान शिव के 101 पार्थिव शिवलिंग बनाकर, उनकी पूजा करती थी और पूजा के उपरांत ने उन्हें तालाब में विसर्जित कर देती थी। जिसके कारण भगवान शिव की कृपा से उसे एक पुत्र की प्राप्ति हुई। कुछ समय बाद छोटी बहन घुष्मा की खुशी सुदेहा से देखी नहीं जा रही थी और उसमें ईर्ष्या की भावना उत्पन्न होने लगी. ईर्ष्या के कारण सुदेहा ने अपनी छोटी बहन के बेटे को तालाब में फेंक दिया, जिसके कारण उसकी मृत्यु हो गई। इससे पूरे परिवार पर दुख के बादल मंडराने लगा। लेकिन घुष्मा को भगवान शिव पर पूर्णतः विश्वास था कि वह उसके पुत्र को वापस लेकर आएंगे। इसी विश्वास से वह हर दिन भगवान शिव की आराधना में लीन रहने लगी।

    घुष्मा की भक्ति को देखकर भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न हुए और उसके बेटे को जीवनदान दिया। अपने मृत पुत्र को जीवित वापस आता देख वह अत्यंत प्रसन्न हुई। उसी समय भगवान शिव भी प्रकट हुए और बड़ी बहन सुदेहा पर अत्यंत क्रोधित हुए और उसे दंड देना चाहा। लेकिन छोटी बहन ने महादेव से ऐसा न करने की विनती की। बता दें कि आज भी घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के समीप एक तालाब है जिसे शिवालय के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इसी शिवालय में रात्रि के समय भगवान शिव वास करते हैं। इस तालाब के दर्शन सभी शिवभक्त पूर्ण भक्ति भाव से करते हैं।

    गणेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन महत्त्व

    आदि गुरु शंकराचार्य ने बताया था कि घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग का नाम स्मरण करने मात्र से ही व्यक्ति को सभी रोग एवं दोष से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही वह सभी पापों से भी मुक्त हो जाता है।

    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।