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    Maa Narmada Temple: बिना पिलर के भी नदी में डटकर खड़ा रहता है जबलपुर का यह मंदिर, जानें इसकी अन्य खासियत

    Maa Narmada Temple मध्य प्रदेश के जबलपुर में मां नर्मदा का एक ऐसा मंदिर स्थापित है जो कई रोचक बातों के लिए जाना जाता है। यह मंदिर अपने आप में अनूठा है। इस मंदिर की एक ऐसी विशेषता भी है जो आपको उत्तराखंड में स्थित बाबा केदारनाथ के मंदिर की याद दिलाएगी। आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें।

    By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Wed, 13 Dec 2023 10:40 AM (IST)
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    Jabalpur Mandir कई मायनों में बाबा केदारनाथ के मंदिर की याद दिलाता है जबलपुर का यह मंदिर।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Hindu Temple: भारत में ऐसे कई मंदिर हैं जो न केवल वास्तुकला की दृष्टि से विशेष महत्व रखते हैं, बल्कि उनके पीछे चली आ रही मान्यताएं भी व्यक्ति को चकित कर देती हैं। ऐसा ही एक मंदिर है जबलपुर के गौरी घाट में नर्मदा नदी की बीच धारा में स्थित मां नर्मदा का मंदिर। इस मंदिर की कई ऐसी खास बातें हैं, जो किसी भी व्यक्ति को हैरान कर सकती हैं।

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    ये है खासियत

    बारिश के मौसम में चारो तरफ से जल से घिर रहने के बाद भी मंदिर को कोई नुकसान नहीं पहुचता। बाढ़ जैसी आपदा में भी मंदिर अपने स्‍थान पर यथावत बना रहता है। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है, कि यह मंदिर बिना किसी पिलर के नदी के अंदर रेत पर बना हुआ है।

    अपनी इन्हीं खासियतों के चलते यह मंदिर उत्तराखंड में स्थित बाबा केदारनाथ के मंदिर की याद दिलाता है। यह बात हैरान करने वाली है कि रेत पर बिना किसी सपोर्ट और पिलर के यह मंदिर वर्षों से खड़ा हुआ है और बाढ़ जैसी आपदा में भी इस मंदिर पर एक भी खरोच नहीं आती। यही कारण है कि लोगों की इस मंदिर में अटूट आस्था बनी हुई है।

    प्रचलित हैं कई मान्यताएं

    मंदिर को लेकर भक्तों के बीच कई तरह की मान्यताएं चली आ रही हैं। यहां आने वाले भक्तों का मानना है कि जो भी व्यक्ति इस मंदिर की एक परिक्रमा कर लेता है, तो उसे मां नर्मदा की पूर्ण परिक्रमा करने जितना ही फल प्राप्त होता है। आमतौर पर मां नर्मदा की पूर्ण परिक्रमा करने में लगभग 3 वर्ष 3 महीने और 13 दिन का समय लगता है।

    मां का प्रिय प्रसाद

    मां नर्मदा को आटे के हलवे का भोग लगाया जाता है। माना जाता है कि जो व्यक्ति इस मंदिर में आकर भी मंदिर की परिक्रमा नहीं करता उसकी यात्रा अधूरी मानी जाती है। ऐसे में यदि आप भी जबलपुर घूमने आते हैं तो इस मंदिर के दर्शन और परिक्रमा का सौभाग्य जरूर प्राप्त करें।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'