Lord Hanuman: इस मंदिर में अपनी पत्नी के साथ विराजमान हैं हनुमान जी, जानिए कैसे हुआ था विवाह
Hanuman ji Wife हनुमान जी को बाल ब्रह्मचारी माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनकी एक पत्नी भी थी। पराशर संहिता में हनुमान जी के विवाह का उल्लेख किया गया है। भारत में एक ऐसा मंदिर प्राचीन मंदिर मौजूद हैं जहां हनुमान जी अपनी पत्नी के साथ विराजमान है। आइए जानते हैं कि हनुमान जी का विवाह कैसे और किससे हुआ था।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Hanuman Mandir: भगवान हनुमान, रामायण के सबसे प्रमुख पात्रों में से एक हैं। श्री राम के परम भक्त हनुमान, साहस, चरित्र, भक्ति और सदाचार के आदर्श प्रतीक हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने हनुमान जी के चरित्र के कारण ही 'सकल गुण निधानं' कहा है। ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी का नाम सुनते ही सभी प्रकार के भय और दुःख स्वयं ही दूर हो जाते हैं।
रामायण और रामचरित मानस में भी हनुमान जी के ब्रह्मचारी होने का जिक्र है। लेकिन पराशर संहिता के अनुसार हनुमान जी का विवाह भी हुआ था। लेकिन इस विवाह के बाद भी हनुमान जी ब्रह्मचारी ही रहे। आइए जानते हैं कि किन विशेष परिस्थितियों के चलते हनुमान जी को विवाह करना पड़ा था।
यहां पत्नी संग होती है हनुमान पूजा
तेलंगाना के खम्मम जिले के येल्नाडू गांव में हनुमान जी की पूजा उनकी पत्नी सुवर्चला के साथ की जाती है। यह मंदिर हैदराबाद से करीब 220 किलोमीटर की दूरी पर है। यह हनुमानजी और सुवर्चला का बहुत ही प्राचीन मंदिर है। साथ ही यह विश्व का इकलौता ऐसा मंदिर भी है जहां हनुमान जी की अपनी पत्नी के साथ प्रतिमा स्थापित है। इस मंदिर की बहुत मान्यता है। इस मंदिर के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। साथ ही ज्येष्ठ शुद्ध दशमी को माता सुवर्चला और हनुमान जी के विवाह का उत्सव मनाया जाता है।
विशेष परिस्थितियों में हुआ था विवाह
हनुमान जी का विवाह विशेष परिस्थितियों के चलते हुआ था। इसके पीछे एक रोचक कथा मिलती है। दरअसल सूर्य भगवान हनुमान जी के गुरु थे, जिनके पास 9 विद्याएं मौजूद थीं। वह इन विद्याओं का ज्ञान हनुमान जी को देना चाहते थे। पांच विद्याएं तो उन्होंने हनुमान जी को सिखा दीं, लेकिन जब अन्य चार की बारी आयी तो वे धर्म संकट में फंस गए, क्योंकि ये चार विद्याएं सिर्फ विवाहित लोगों को ही दी जा सकती थीं। समस्या के समाधान के लिए सूर्यदेव ने बजरंगबली को विवाह करने का सुझाव दिया।
विवाह के बाद भी रहे ब्रह्मचारी
पहले तो हनुमान जी इस विवाह के लिए राजी नहीं हुए, लेकिन जब सूर्य देव ने कहा कि यह कन्या तपस्या कर पुनः उनके के तेज में ही विलीन हो जाएगी। तब हनुमान जी इस विवाह के लिए मान गए। तब जाकर उनकी विवाह सूर्यदेव की तपस्वी और तेजस्वी पुत्री सुवर्चला के साथ हुआ। हालांकि विवाह करने के बाद भी हनुमान जी ब्रह्मचारी ही रहे। विवाह के बाद सुवर्चला भी तपस्या में लीन हो गई।
डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'