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    लक्ष्मी, इंद, कुबेर पूजन: आखिर क्यों करते हैं इनकी पूजा?

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    Updated: Fri, 01 Nov 2013 12:46 PM (IST)

    दीपावली में लक्ष्मी, इंद्र और कुबेर की पूजा का विधान है। आखिर क्यों करते हैं इनकी पूजा? दीपावली में हर व्यक्ति श्रीगणेश-लक्ष्मी की स्थापना और पूजन का शुभ मुहूर्त जानने के लिए उत्सुक रहता है। मान्यता है कि ऋद्धि-सिद्धि के अधिपति गणपति और धन-संपत्ति की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी की अनुकंपा प्राप्त हो जाने पर संसार का सारा सुख मिल

    दीपावली में लक्ष्मी, इंद्र और कुबेर की पूजा का विधान है। आखिर क्यों करते हैं इनकी पूजा?

    दीपावली में हर व्यक्ति श्रीगणेश-लक्ष्मी की स्थापना और पूजन का शुभ मुहूर्त जानने के लिए उत्सुक रहता है। मान्यता है कि ऋद्धि-सिद्धि के अधिपति गणपति और धन-संपत्ति की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी की अनुकंपा प्राप्त हो जाने पर संसार का सारा सुख मिल जाता है।

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    लक्ष्मीजी चंचल स्वभाव की होने के कारण 'चंचला' कहलाती हैं। ये एक स्थान पर अधिक समय तक नहीं टिकती हैं। इसलिए हर गृहस्थ दीपावली के दिन इनकी स्थापना ऐसे मुहूर्त में करना चाहता है, जिसकी वजह से भगवती लक्ष्मी उनके यहां स्थिर होकर रहें।

    भारतीय ज्योतिषशास्त्र में प्रत्येक महत्वपूर्ण कार्य के लिए शुभ और सर्वाधिक उपयुक्त समय बताया गया है। अनुकूल समय के चयन की इस प्रक्रिया को 'मुहूर्त-निर्णय' कहते हैं। दीपावली-पूजन के मुहूर्त का घर की आर्थिक स्थिति तथा व्यापारिक प्रतिष्ठान के कारोबार पर बहुत प्रभाव पड़ता है। इसी कारण प्रत्येक परिवार दीपावली में श्रीगणेश-लक्ष्मी की स्थापना और पूजा सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त में करने की आकांक्षा रखता है।

    लक्ष्मी योग-

    देवगुरु बृहस्पति के अनुसार, कार्तिक मास की अमावस्या को सांय सूर्यास्त हो जाने के बाद ही दीपावली का 'पर्वकाल' प्रारंभ होता है। इस मुहूर्त में लक्ष्मी पूजा गृहस्थजनों के लिए शुभ फलदायक माना जाता है। इससे घर का आर्थिक संकट दूर होता है और परिवार की वित्तीय स्थिति में सुधार आता है।

    'लक्ष्मी योग' का समय रात्रि के प्रथम प्रहर में होने के कारण यह सबके लिए सुविधाजनक होता है। व्यवसायी भी इस योग का लाभ उठा सकते हैं।

    इंद्र योग-

    दीपावली की रात्रि के द्वितीय प्रहर में इंद्र योग उपलब्ध होता है। 'इंद्र योग' सरकारी अधिकारियों और राजनेताओं के लिए विशेष अनुकूल होता है। सत्ता, पदोन्नति और वेतन-वृद्धि के इच्छुक व्यक्तियों को 'इंद्र योग' उनके कार्यक्षेत्र में आगे बढ़ाता है।

    कुबेर योग-

    दीपावली की रात्रि के तृतीय प्रहर में कुबेर योग आता है। 'कुबेर योग' उद्योगपतियों और व्यापारियों की अभिलाषा को पूर्ण करता है। इसमें फैक्ट्री-कारखाना या दुकान की गद्दी पर दीपावली-पूजन प्रचुर लाभदायक सिद्ध होता है।

    देवगुरु बृहस्पति द्वारा बताए गए लक्ष्मी योग, इंद्र योग और कुबेर योग अपने नाम के अनुरूप फल प्रदान करते हैं।

    लक्ष्मी जी का ध्यान-

    दीपावली-पूजन में लक्ष्मीजी के इस स्वरूप को ध्यान करें-

    सिन्दूरारुण-कान्तिमब्ज-वसतिं

    सौंदर्यवारां निधिम्,

    कोटीराङ्गद-हार-कुण्डल-कटीसूत्रादिभिर्भूषिता9 म्।

    हस्ताब्जैर्वसुपत्रमब्ज-युगलादशर वहन्तीं परा-

    मावीतां परिचारिकाभिरनिशं ध्यायेत् प्रियां शाङ्रि्गंण:॥

    'जिनके शरीर की कांति सिंदूर के समान अरुण वर्ण की है, जो सौंदर्य की सागर होने से अनुपम सुंदर हैं, जो इंद्रनीलमणि, मुकुट, हार, कुण्डल और करधनी आदि आभूषणों से सुसज्जिात हैं, जिन्होंने अपने हाथों में कमल, रत्नों से भरा पात्र एवं दर्पण धारण किया हुआ है, कमल के आसन पर विराजमान और परिचारिकाओं (सेविकाओं) द्वारा सेवित ऐसी विष्णुप्रिया लक्ष्मी का मैं ध्यान करता हूं।'

    सिद्धि देती है दीपावली-

    तंत्रशास्त्र में दीपावली को 'कालरात्रि' भी कहा गया है। इसलिए इसकी अ‌र्द्धरात्रि में उपलब्ध होने वाला 'महानिशीथकाल' काली-पूजा (श्यामा पूजा) में प्रयुक्त होता है। दीपावली की रात्रि में विधिवत साधना करने से सिद्धि अवश्य प्राप्त होती है।

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