Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    Konark Sun Temple: 13वीं शताब्दी में हुआ था सूर्य मंदिर का निर्माण, जानें क्या है इसका महत्व

    By Shilpa SrivastavaEdited By:
    Updated: Sun, 27 Sep 2020 02:53 PM (IST)

    Konark Sun Temple आज रविवार है। आज का दिन सूर्यदेव का समर्पित है। आज हम आपको सूर्यदेव का प्रसिद्ध मंदिर यानी सूर्य मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो कोर्णाक उड़िसा में स्थित है। यह भव्य मंदिर सूर्य देवता को समर्पित है।

    13वीं शताब्दी में हुआ था सूर्य मंदिर का निर्माण, जानें क्या है इसका महत्व

    Konark Sun Temple: आज रविवार है। आज का दिन सूर्यदेव का समर्पित है। आज हम आपको सूर्यदेव का प्रसिद्ध मंदिर यानी सूर्य मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो कोर्णाक, उड़िसा में स्थित है। यह भव्य मंदिर सूर्य देवता को समर्पित है। इस मंदिर को सूर्य देवता के रथ के आकार में बनाया गया है। आइए जानते हैं इस मंदिर का निर्माण किसने कराया था, मंदिर का महत्व क्या है और अन्य अहम जानकारियां।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    किसने किया था कोर्णाक सूर्य मंदिर का निर्माण:

    उड़िसा के कोर्णाक में स्थित सूर्य मंदिर का निर्माण राजा नरसिंहदेव ने 13वीं शताब्दी में करवाया था। अपने विशिष्ट आकार और शिल्पकला के लिए यह मंदिर पूरे विश्व में जाना जाता है। यह मंदिर अपने विशिष्ट आकार और शिल्पकला के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। मान्यता है कि मुस्लिम आक्रमणकारियों पर सैन्यबल की सफलता का जश्न मनाने के लिए राजा नरसिंहदेव ने कोणार्क में सूर्य मंदिर का निर्माण कराया था। लेकिन 15वीं शताब्दी में मुस्लिम सेना ने यहां लूटपाट मचा दी थी। इस समय सूर्य मंदिर के पुजारियों ने यहां स्थापित मूर्ति को पुरी में ले जाकर रख दिया था। लेकिन मंदिर नहीं बच सका। पूरा मंदिर काफी क्षतिग्रस्त हो गया था। फिर धीरे-धीरे मंदिर पर रेत जमा होती रही और मंदिर पूरा रेत से ढक गया। फिर 20वीं सदी में ब्रिटिश शासन के अंतर्गत रेस्टोरेशन का काम हुआ और इसी में सूर्य मंदिर खोजा गया।

    कहां है स्थित:

    कोणार्क सूर्य मन्दिर भारत में उड़ीसा राज्य में स्थित है। यह जगन्नाथ पुरी से 35 किमी उत्तर-पूर्व में स्थित है। इसे सन् 1949 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल की मान्यता दी थी।

    कैसा है यह मंदिर:

    हिन्दू मान्यता के अनुसार, सूर्य देवता के रथ में बारह जोड़ी पहिए मौजूद हैं। साथ ही 7 घोड़े भी हैं जो रथ को खींचते हैं। यह 7 घोड़े 7 दिन के प्रतीक हैं। वहीं, 12 जोड़ी पहिए दिन के 24 घंटों के प्रतीक हैं। कई लोग तो यह भी कहते हैं कि यह 12 पहिए साल के 12 वर्षों के प्रतीक हैं। इनमें 8 ताड़ियां भी मौजूद हैं जो दिन के 8 प्रहर का प्रतीक है। यह मंदिर सूर्य देवता के रथ के आकार का ही बनाया गया है। कोर्णाक मंदिर में भी घोड़े और पहिए हैं। यह मंदिर बेहद खूबसूरत और भव्य है। यहां पर दूर-दूर से पर्यटक आते हैं। यहां की सूर्य मूर्ति को पुरी के जगन्नाथ मंदिर में सुरक्षित रखा गया है। ऐसे में इस मंदिर में कोई भी देव मूर्ति मौजूद नहीं है। यह मंदिर समय की गति को दर्शाता है।

    कोणार्क सूर्य मन्दिर की पौराणिक महत्व:

    स्थानीय लोग इस मंदिर को बिरंचि-नारायण कहते थे। पुराणों के अनुसार, श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब, उनके श्राप से कोढ़ रोगी बन गए थे। साम्ब ने कोणार्क के मित्रवन में चंद्रभागा नदी के सागर संगम पर 12 वर्षों तक तपस्या की। उन्होंने सूर्यदेव को प्रसन्न किया। सूर्यदेव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर साम्ब के रोग का भी निवारण कर दिया। फिर साम्ब ने सूर्य भगवान का एक मंदिर बनवाया। अपने रोगों से मुक्ति पाने के बाद वह चंद्रभागा नदी में स्नान करने गया। वहां उसे एक सूर्यदेव की मूर्ति मिली। इस मूर्ति को सूर्यदेव के शरीर के ही भाग से बनाया गया था। इसे श्री विश्वकर्मा जी ने बनाई थी। साम्ब ने इस मूर्ति को अपने बनवाए मित्रवन में स्थापित किया था।