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    Kokilavan Dham Shanidev Mandir: क्यों सिद्ध कहलाता है कोकिला वन का शनिदेव मंदिर, पढ़ें पौराणिक कथा

    By Shilpa SrivastavaEdited By:
    Updated: Sat, 31 Oct 2020 12:09 PM (IST)

    Kokilavan Dham Shanidev Mandir भारत के उत्तर प्रदेश में मथुरा के पास कोसी कलां में प्रसिद्ध शनि देव मंदिर का मंदिर स्थित है जिसे कोकिलावन धाम कहा जाता है।यह मंदिर घने जंगलों में स्थित है। यही कारण है कि इसका नाम कोकिलावन है।

    Kokilavan Dham Shanidev Mandir: क्यों सिद्ध कहलाता है कोकिला वन का शनिदेव मंदिर, पढ़ें पौराणिक कथा

    Kokilavan Dham Shanidev Mandir: भारत के उत्तर प्रदेश में मथुरा के पास कोसी कलां में प्रसिद्ध शनि देव मंदिर का मंदिर स्थित है जिसे कोकिलावन धाम कहा जाता है।यह मंदिर घने जंगलों में स्थित है। यही कारण है कि इसका नाम कोकिलावन है। यह शनि देव और उनके गुरु बरखंडी बाबा का बहुत प्राचीन मंदिर है। पूरे भारत से श्रद्धालु यहां पूजा करने आते हैं। आइए जानते हैं इस धाम के बारे में।

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    क्यों सिद्ध कहलाता है कोकिला वन का शनिदेव मंदिर:

    द्वापरयुग में शनिदेव ने भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने के लिए कड़ी तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण ने शनिदेव को कोयल के रूप में दर्शन दिए थे। श्रीकृष्ण ने कहा था कि नंदगांव से सटा कोकिला वन उनका वन है। जो व्यक्ति शनिदेव की पूजा और इस वन की परिक्रमा ककरेगा उसे मेरी और शनिदेव दोनों की ही कृपा प्राप्त होती है। यही कारण है कि कोकिलावन के शनिदेव मंदिर को सिद्ध मंदिर का दर्जा प्राप्त है। कोकिला धाम में श्री शनि देव मंदिर, श्री गोकुलेश्वर महादेव मंदिर, श्री गिरिराज मंदिर, श्री बाबा बनखंडी मंदिर, श्री देव बिहारी मंदिर प्रमुख हैं। मंदिरों के अलावा यहां दो प्राचीन सरोवर और गोऊ शाळा भी स्थित हैं।

    कोकिला धाम में हर शनिवार को लाखों श्रद्धालु आते हैं। यहां आकर ये श्रद्धालु ॐ शं शनिश्चराय नम: और जय शनि देव का उच्चारण करते हुए परिक्रमा करते हैं। इस मार्ग पर लोग जरूरतमंदों को दान भी करते हैं।

    कोकिला वन और शनिदेव की कथा:

    पौराणिक कथाओं के अनुसार, अपने इष्ट देव भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन करने के लिए शनिदेव ने कड़ी तपस्या की थी। उनकी तपस्या से खुश होकर श्रीकृष्ण ने कोयल के रूप में उन्हें दर्शन दिए थे। श्रीकृष्ण ने जिस वन में शनिदेव को दर्शन दिए थे उसी को कोकिला वन नाम से जाना जाता है। बृजमंड में जब श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था तब सभी देवी-देवता उनके दर्शन के लिए आए थे। इन सभी में शनिदेव भी मौजू थे। लेकिन मां यशोदा ने उन्हें श्रीकृष्ण के दर्शन करने नहीं दिए थे। उन्हें डर था कि कहीं शनि देव की वक्र दृष्टि श्रीकृष्ण पर ना पड़ जाएं।

    शनिदेव इससे बहुत निराश हो गए थे और नंदगांव के पास में ही एक वन में जाकर तपस्या करने लगे थे। श्रीकृष्ण ने उनके तप से प्रसन्न होकर शनिदेव को दर्शन दिए। श्रीकृष्ण ने शनि देव से कहा आप सदैव इसी स्थान पर अपना वास करना। श्रीकृष्ण ने शनिदेव को कोयल के रूप में दर्शन दिए थे इसलिए इस वन को कोकिलावन नाम से जाना जाता है।

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '