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जानें, नेपाल नरेश ने क्यों कराई थी महेंद्रनाथ मंदिर की स्थापना और क्या है इसका महत्व

सत्रहवीं शताब्दी में नेपाल नरेश महेंद्रवीर को कुष्ठ रोग हो गया था। इस रोग से मुक्ति के लिए नेपाल नरेश वाराणसी गंगा स्नान हेतु आ रहे थे। इस यात्रा के दौरान वह घनी जंगल में एक पीपल वृक्ष के नीचे विश्राम करने लगे।

By Umanath SinghEdited By: Published: Mon, 01 Jun 2020 02:23 PM (IST)Updated: Mon, 17 Jan 2022 05:47 PM (IST)
जानें, नेपाल नरेश ने क्यों कराई थी महेंद्रनाथ मंदिर की स्थापना और क्या है इसका महत्व
जानें, नेपाल नरेश ने क्यों कराई थी महेंद्रनाथ मंदिर की स्थापना और क्या है इसका महत्व

भारत के विभिन्न हिस्सों में 11 ज्योतिर्लिंग हैं। जबकि एक ज्योतिर्लिंग नेपाल में अवस्थित है। इस मंदिर को पशुपति नाथ मंदिर कहा जाता है। इसके अतिरिक्त भारत में अनेकों शिवलिंग मंदिर है, जिनकी मान्यता अति प्रसिद्ध है। इन मंदिरों में एक मंदिर महेन्द्रनाथ है, जो कि बिहार राज्य के सिवान जिले में अवस्थित है। इस मंदिर में हर सोमवार हजारों और सावन तथा शिवरात्रि के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा के दर्शन हेतु आते हैं। इस मंदिर के साथ ही एक सरोवर है, जिसके बारे में कहना है कि इस सरोवर में स्नान करने से चर्म रोगों से मुक्ति मिलती है। आइए, इस मंदिर के निर्माण एवं शिवलिंग की उत्पत्ति की कथा जानते हैं-

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ऐसा कहा जाता है कि सत्रहवीं शताब्दी में नेपाल नरेश महेंद्रवीर को कुष्ठ रोग हो गया था। इस रोग से मुक्ति के लिए नेपाल नरेश वाराणसी गंगा स्नान हेतु आ रहे थे। इस यात्रा के दौरान वह घनी जंगल में एक पीपल वृक्ष के नीचे विश्राम करने लगे। यह जंगल वर्तमान में सिवान जिला है। उस समय नेपाल नरेश को बहुत तेज प्यास लगी। वह पानी की तलाश में इधर-उधर भटकने लगे। तभी उन्हें एक गड्ढा मिला। नेपाल नरेश ने पानी पीने के लिए जैसे ही गड्ढे में हाथ डाला तो शिव जी की कृपा से उनका कुष्ट रोग ठीक हो गया।

यह जान नेपाल नरेश ने उस पानी से स्नान किया, जिससे उनका कुष्ठ रोग ठीक हो गया। उसी रात उनके स्वप्न में शिव जी आए और बोले-पीपल वृक्ष के नीचे खुदाई कराओ और मंदिर का निर्माण कराओ। इसके बाद नेपाल नरेश ने इस स्थान पर खुदाई कराई, जिससे शिवलिंग निकला। इसी स्थान पर मंदिर का निर्माण करवाया गया, जिसे आज लोग महेन्द्रनाथ मंदिर के नाम से जानते हैं। जबकि मंदिर के समीप में ही एक विशाल जलाशय खुदवाया, जिसमें रोजाना सैकड़ों लोग आस्था की डुबकी लगाते हैं।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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