Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Kashi Vishwanath Jyotirling: काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, जब भगवान विष्णु और ब्रह्मा का अहंकार हुआ चकनाचूर

    By Ritesh SirajEdited By:
    Updated: Wed, 07 Jul 2021 02:31 PM (IST)

    Kashi Vishwanath Jyotirling ब्रह्मा जी अपने हंस पर बैठकर आकाश की तरफ गए ऊंचाई का पता लगाने और विष्णु जी शूकर का रूप धारण करके पृथ्वी के अंदर खुदाई करके इसके गहराई का पता लगाने लगे। कई युगों तक भी इसकी गहराई और ऊंचाई का पता नहीं लगा सके।

    Hero Image
    Kashi Vishwanath Jyotirling: काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, जब भगवान विष्णु और ब्रह्मा का अहंकार हुआ चकनाचूर

    `Kashi Vishwanath Jyotirling : सावन महीने में शिवलिंग की पूजा से व्यक्ति के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। इस माह में शिव की अराधना मात्र से ही व्यक्ति की हर मुराद पूरी हो जाती है। भगवान शिव अपने भक्तों के लिए बड़े ही कृपालु हैं। मात्र एक लोटा जल के अर्पण से ही खुश हो जाते हैं। फिर तो सावन माह उनके माह के रूप में जाना जाता है। इस समय उनकी अराधना से जीवन खुशियों से भर जाएगा। भारतवर्ष में कुल 12 ज्योतिर्लिंग हैं। इन सभी ज्योतिर्लिंग का अपना विशेष स्थान है। आज हम जानेंगे काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग से जुड़ी रोचक बातों को।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग

    काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है। यह मंदिर हिंदू धर्म के लिए बहुत ही खास है। यह मंदिर वाराणसी में स्थित है। मान्यता है कि काशी भगवान शिव के त्रिशूल पर टिका हुआ है। काशी पुरातन समय से ही अध्यात्म का केंद्र रहा है।

    काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग की कहानी

    काशी विश्वनाथ को लेकर एक दिलचस्प पौराणिक कथा प्रचलित है। इससे हमें इसकी कहानी का पता चलता है। एक बार भगवान विष्णु और ब्रह्मा में बहस छिड़ गई कि कौन अधिक शक्तिशाली है। इस बहस की मध्यस्थता करने के लिए भगवान शिव ने विशाल ज्योतिर्लिंग का रूप धारण कर लिया था।

    शिव ने भगवान विष्णु और ब्रह्मा को विशाल ज्योतिर्लिंग के स्रोत और ऊंचाई का पता लगाने को कहा। ब्रह्मा जी अपने हंस पर बैठकर आकाश की तरफ गए ऊंचाई का पता लगाने और विष्णु जी शूकर का रूप धारण करके पृथ्वी के अंदर खुदाई करने लगे, ताकि इसकी गहराई का पता चल सके। दोनों कई युगों तक भी उसके गहराई और ऊंचाई का पता नहीं लगा सके। हारकर भगवान विष्णु ने शिव जी के आगे नतमस्तक हो गए, लेकिन ब्रह्मा जी ने झूठ बोल दिया कि उन्होंने इसकी ऊंचाई का पता लगा लिया। इस झूठ पर क्रोधित शिव ने उन्हें श्राप देते हुए कहा कि आपकी पूजा नहीं होगी, इसलिए ब्रह्मा जी के मंदिर नहीं मिलते।

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'