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Kaithi Dham Markandey Mahadev : सावन में कैथी धाम के मार्कंडेय महादेव का दर्शन करें, संतान प्राप्ति की मनोकामनाएं होती हैं पूर्ण

Kaithi Dham Markandey Mahadev सावन मास में यहां भक्तों का तांता लग जाता है। मार्कंडेय महादेव का मंदिर वाराणसी से करीब 30 किमी दूर गंगा-गोमती के संगम तट कैथी गांव में स्थित है। यमराज भी यहां हार मान जाते हैं।

By Ritesh SirajEdited By: Published: Wed, 28 Jul 2021 05:01 PM (IST)Updated: Wed, 28 Jul 2021 05:01 PM (IST)
सावन में कैथी धाम के मार्कंडेय महादेव का दर्शन करें, संतान प्राप्ति की मनोकामनाएं होती हैं पूर्ण

Kaithi Dham Markandey Mahadev : सावन में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। देशभर में सभी जगह भगवान शिव की पूजा अर्चना होती है। इन्हीं में से एक मार्कंडेय महादेव हैं। सावन मास में यहां भक्तों का तांता लग जाता है। मार्कंडेय महादेव का मंदिर वाराणसी से करीब 30 किमी दूर गंगा-गोमती के संगम तट कैथी गांव में स्थित है। यह स्थान वाराणसी गाजीपुर राजमार्ग पर पड़ता है। मान्यता है कि यमराज भी यहां हार मान जाते हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन के अलावा लोग कैथी धाम के भी दर्शन के लिए पहुंचते हैं। आज हम कैथी धाम की कथा के विषय में विस्तार से जानेंगे।

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कैथी धाम की कथा

इस धाम के लेकर एक कथा प्रचलित है कि जब मार्कण्डेय ऋषि पुत्र पैदा हुए तो वो अल्पायु के थे। उनके माता पिता को यह बात ज्योतिषियों ने बताया कि लड़का सिर्फ 14 साल तक जीवित रहेगा। जिससे ऋषि दंपति दुखी रहने लगे थे। संतों की सलाह पर मार्कण्डेय ऋषि के पिता ने गंगा-गोमती संगम पर बालू से शिव विग्रह बनाकर उसकी पूजा करने लगे। मार्कण्डेय ऋषि के पिता तपस्या में लीन हो गए। जब बालक मार्कण्डेय ऋषि 14 साल के हो गए थे।

ज्योतिषियों के बताए समय पूर्ण होने पर उन्हें लेने यमराज आ गए। उस समय पिता के साथ-साथ बालक मार्कण्डेय ऋषि भी तपस्या में लीन थे। जैसे ही यमराज उनका प्राण हरने चले वैसे ही भगवान शिव प्रकट हो गए। भगवान शिव को देखकर यमराज नतमस्तक हो गए। भगवान शिव ने कहा कि मेरा भक्त सदैव अमर रहेगा और इसकी पूजा की जाएगी। तभी से भगवान शिव के साथ-साथ मार्कण्डेय की पूजा होने लगी। तभी से यह  मार्कण्डेय महादेव मंदिर  के नाम से प्रसिद्ध हो गया। 

डिसक्लेमर

 

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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