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    Bhimashankar Jyotirling: कैसे पड़ा भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का नाम? पढ़ें कुंभकरण के बेटे से जुड़ी है कथा

    By Ritesh SirajEdited By:
    Updated: Thu, 08 Jul 2021 11:00 AM (IST)

    Bhimashankar Jyotirling भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का नाम कैसे पड़ा? इसके बारे में एक रोचक कथा है। भगवान राम ने लंका युद्ध के समय कुंभकरण का वध कर दिया था। उसकी पत्नी कर्कटी ने अपने पुत्र को देवताओं से दूर रखने का फैसला किया।

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    Bhimashankar Jyotirling: कैसे पड़ा भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का नाम? पढ़ें कुंभकरण के बेटे से जुड़ी है कथा

    Bhimashankar Jyotirling: श्रावण माह में भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग हैं। इन ज्योतिर्लिंग में से एक भीमाशंकर भी है। यह पवित्र स्थान महाराष्ट्र के पुणे से लगभग 110 किलोमीटर दूर शिराधन गांव में स्थित है। यह गांव सह्याद्रि पर्वत पर स्थित है। इस मंदिर को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर के समीप एक नदी बहती है, जिसका नाम भीमा नदी है। यह नदी आगे जाकर कृष्णा नदी में मिलती है। इस मंदिर की बहुत सारी विशेषताएं हैं। आज हम इससे जुड़ी कथा के विषय में बताएंगे।

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    भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग कथा

    पौराणिक कथा के अनुसार, रावण के भाई कुंभकरण को सह्याद्रि पर्वत पर कर्कटी नामक राक्षसी से मुलाकात हुई। दोनों ने शादी एक-दूसरे से शादी कर ली। शादी के बाद कुंभकरण लंका वापस आ गया। लेकिन कर्कटी पर्वत पर ही रह गई और उसने एक पुत्र को जन्म दिया। कुंभकरण के इस पुत्र का नाम भीम था। राम ने कुंभकरण का वध कर दिया। हालांकि कर्कटी ने अपने पुत्र को देवताओं से दूर रखने का फैसला लिया। बड़ा होकर भीम ने अपने पिता कुंभकरण की मृत्यु का बदला लेने का सोचा।

    भीम ने भगवान ब्रह्मा की तपस्या करके उनसे ताकतवर होने का वरदान प्राप्त किया। एक राजा कामरुपेश्वर थे, जो भगवान शिव के भक्त थे। एक दिन भीम ने राजा को भगवान शिव की पूजा करते देख लिया। उसने राजा को बंदी बनाकर जेल में डाल दिया। पंरतु राजा कारागार में भी शिवलिंग बनाकर भगवान शिव की पूजा करने लगे। जब भीम को इस बात का पता चला, तो उसने तलवार की मदद से राजा के बनाए शिवलिंग को तोड़ने का प्रयास किया, जिसके परिणाम स्वरूप भगवान शिव स्वयं प्रकट हो गए।

    भीम और शिव जी के बीच भंयकर युद्ध हुआ। अंत में शिव जी ने भीम का वध कर दिया। फिर देवताओं ने भगवान शिव से आग्रह किया कि वे उसी स्थान पर रहें। देवताओं के कहने पर भगवान शिव उसी स्थान पर शिवलिंग के रूप में स्थापित हो गए। भीम से युद्ध करने की वजह से इस ज्योतिर्लिंग का नाम भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग पड़ा।

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'