Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उडुपी श्री कृष्ण मठ: यहां झरोखे से भक्‍तों को दर्शन देते हैं भगवान

    By Molly SethEdited By:
    Updated: Wed, 06 Dec 2017 12:30 AM (IST)

    उडुपी श्री कृष्ण मठ कर्नाटक के उडुपी शहर में स्थित भगवान श्री कृष्ण का एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह रहने के लिए बने एक आश्रम जैसा है और कई मंदिर हैं।

    उडुपी श्री कृष्ण मठ: यहां झरोखे से भक्‍तों को दर्शन देते हैं भगवान

    आश्रम, मठ और मंदिर का मिश्रण

    उडुपी के श्री कृष्ण मठ का क्षेत्र रहने के लिए बने एक आश्रम जैसा है, यह रहने और भक्ति के लिए एक पवित्र स्थान है। श्री कृष्ण मठ के आसपास कई मंदिर है, सबसे अधिक प्राचीन मंदिर 1500 साल प्राचीन लकड़ी और पत्थर से बना है। इस स्‍थान को कृष्ण मठ के कारण ज्यादा जाना जाता है। यह मठ भारत के दूसरे कृष्ण मंदिरों से काफी अलग है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

     

    झरोखे में भगवान 

    यहां के तालाब के पानी में मंदिर का खूबसूरत प्रतिबिंब दिखाई देता है। मंदिर के विशाल मंडप से विस्मित होकर जब आप उडुपी के श्रीकृष्ण मठ में भगवन के दर्शन करने जायेंगे तो यह देखकर जरूर दंग रह जायेंगे कि भगवान दरवाजे की तरफ नहीं, बल्‍कि मंदिर के पीछे बनी खिड़की से अपने भक्तों को दर्शन दे रहे हैं। गर्भगृह में बनी नौ खंडों में बंटी छोटी-छोटी खिड़की पर तराशे गये दशावतार के दर्शन के बाद जब आपकी दृष्टि गर्भगृह के भीतर बनी छोटी मूर्ति पर पड़ेगी तो भगवान के मुख की निर्दोषता आपका दिल खुश कर देगी। 

    यज्ञगृह में पवित्र हवन 

    इस मंदिर के प्राचीन यज्ञग्रह में प्रज्‍वलित पावन अग्नि के साथ पुजारियों द्वारा किया जाता मंत्रोच्चारण इस मंदिर के भक्तिभावपूर्ण वातावरण में आध्यामिकता की लहर का प्रसार करता है। सूर्यदेव से लेकर हनुमानजी तक हिंदू धर्म के कई देवी-देवताओं की सदियों पुरानी अलंकृत मूर्तियां मठ की प्राचीनता की आभास कराती हैं। मंदिर के प्रांगण में स्थित विष्णु के प्रिय नागराज का मंदिर भी यहां की एक विशेषता है। इसकी दीवारों पर कुछ अनसुनी कथाओ के चित्र भी देखने को मिलेंगे। 

    कृष्‍ण मठ की भावुक कथा

    कृष्ण मठ को 13वीं सदी में वैष्णव संत श्री माधवाचार्य ने स्थापित किया था। वे द्वैतवेदांत सम्प्रदाय के संस्थापक थे। इस स्‍थान से जुड़ी एक सुंदर कहानी है कि एक बार अत्यंत धर्मनिष्ठ एवं भगवान कृष्ण के प्रति समर्पित भक्त कनकदास को मंदिर में प्रवेश की अनुमति नही दी गई थी। इस बपर उन्होंने और अधिक तन्मयता के साथ भागवान से प्रार्थना की। भगवान कृष्ण उनसे इतने प्रसन्न हुए कि दर्शन देने के लिए मठ (मंदिर) के पीछे एक छोटी सी खिड़की बना दी। आज तक, भक्त उसी खिड़की के माध्यम से भगवान कृष्ण की अर्चना करते हैं, जिसके द्वारा कनकदास को एक छवि देखने का वरदान मिला था।