Move to Jagran APP

विश्‍व के सबसे बड़े विष्‍णु मंदिर अंकोरवाट के बारे में जानते हैं आप

भगवान विष्‍णु के भक्‍त सारी दुनिया में फैले हुए हैं और सी तरह उनके मंदिर भी पूरे विश्‍व में पाये जाते हैं, ऐसा ही एक मंदिर है कंबोडिया में अंकोरवाट।

By Molly SethEdited By: Published: Thu, 19 Apr 2018 10:57 AM (IST)Updated: Thu, 19 Apr 2018 10:57 AM (IST)
विश्‍व के सबसे बड़े विष्‍णु मंदिर अंकोरवाट के बारे में जानते हैं आप
विश्‍व के सबसे बड़े विष्‍णु मंदिर अंकोरवाट के बारे में जानते हैं आप

सबसे बड़ा धार्मिक स्‍थल

loksabha election banner

अंकोरवाट कंबोडिया में दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक है, जो करीब 162.6 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है। यह मूल रूप से खमेर साम्राज्य में भगवान विष्णु के एक हिंदू मंदिर के रूप में बनाया गया था। मीकांग नदी के किनारे सिमरिप शहर में बना यह मंदिर आज भी संसार का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है जो सैकड़ों वर्ग मील में फैला हुआ है। यह मन्दिर मेरु पर्वत का भी प्रतीक है। इसकी दीवारों पर भारतीय धर्म ग्रंथों के प्रसंगों का चित्रण है। इन प्रसंगों में अप्सराएं बहुत सुंदर चित्रित की गई हैं, असुरों और देवताओं के बीच समुद्र मन्थन का दृश्य भी दिखाया गया है। सनातन धर्म को मानने वाले इसे अपना पवित्र तीर्थस्थान मानते हैं।

मंदिर का वैभवशाली स्‍वरूप

12वीं शताब्दी के लगभग सूर्यवर्मा द्वितीय ने अंग्कोरथोम में विष्णु का एक विशाल मंदिर बनवाया। मंदिर की रक्षा इस के चारों तरफ बनी एक खाई करती है, जिसकी चौड़ाई लगभग 700 फुट है। मंदिर के पश्चिम की ओर इस खाई को पार करने के लिए एक पुल बना हुआ है। पुल के पार मंदिर में प्रवेश के लिए एक विशाल द्वार निर्मित है जो लगभग 1,000 फुट चौड़ा है। मंदिर की दीवारों पर मूर्तियों में पूरी रामायण अंकित है। मंदिर को देखने के बाद समझ आता है कि अंग्कोरथोम जिस कंबुज देश की राजधानी था उसमें विष्णु, शिव, शक्ति, गणेश आदि देवताओं की पूजा प्रचलित थी। इन मंदिरों के निर्माण में जिस कला का अनुकरण हुआ है वह भारतीय गुप्त कला से प्रभावित जान पड़ती है। अंग्कोरवात के मंदिरों, तोरणद्वारों और शिखरों के अलंकरण सभी में गुप्त कला प्रतिबिंबित है। मंदिर के एक अभिलेख से पता चलता है कि यशोधरपुर जो अंग्कोरथोम का पूर्वनाम है, का संस्थापक नरेश यशोवर्मा अर्जुन और भीम जैसा वीर, सुश्रुत जैसा विद्वान् तथा शिल्प, भाषा, लिपि एवं नृत्य कला में पारंगत था। उसने अंग्कोरथोम और अंग्कोरवात के अतिरिक्त कंबुज के अनेक राज्य स्थानों में भी आश्रम स्थापित किए जहां रामायण, महाभारत, पुराण तथा अन्य भारतीय ग्रंथों का अध्ययन अध्यापन होता था। अंग्कोरवात के हिंदू मंदिरों पर बाद में बौद्ध धर्म का गहरा प्रभाव पड़ा और कालांतर में उनमें बौद्ध भिक्षुओं ने निवास भी किया।

अंकोरवाट के प्रभावी शिला चित्र

खमेर शास्त्रीय शैली से प्रभावित स्थापत्य वाले इस मंदिर का निर्माण कार्य सूर्यवर्मन द्वितीय ने प्रारम्भ किया परन्तु वे इसे पूर्ण नहीं कर सके। मंदिर का कार्य उनके भानजे एवं उत्तराधिकारी धरणीन्द्रवर्मन के शासनकाल में सम्पूर्ण हुआ। मिश्र एवं मेक्सिको के स्टेप पिरामिडों की तरह यह सीढ़ी पर उठता गया है। इसका मूल शिखर लगभग 64 मीटर ऊंचा है। इसके अतिरिक्त अन्य सभी आठों शिखर 54 मीटर ऊंचे हैं। मंदिर साढ़े तीन किलोमीटर लम्बी पत्थर की दिवार से घिरा हुआ था, उसके बाहर 30 मीटर खुली भूमि और फिर बाहर 190 मीटर चौड़ी खाई है। विद्वानों के अनुसार यह चोल वंश के मन्दिरों से मिलता जुलता है। दक्षिण पश्चिम में स्थित ग्रन्थालय के साथ ही इस मंदिर में तीन वीथियां हैं जिसमें अन्दर वाली अधिक ऊंचाई पर हैं। मंदिर के गलियारों में तत्कालीन सम्राट, बलि-वामन, स्‍वर्ग-नरक, समुद्र मंथन, देव-दानव युद्ध, महाभारत, हरिवंश पुराण तथा रामायण से संबद्ध अनेक शिलाचित्र हैं। यहां के शिलाचित्रों में रूपायित राम कथा बहुत संक्षिप्त है। इन शिलाचित्रों की श्रंखला रावण वध हेतु देवताओं द्वारा की गयी आराधना से आरंभ होती है। उसके बाद सीता स्वयंवर का दृश्य है। बालकांड की इन दो प्रमुख घटनाओं की प्रस्तुति के बाद विराध एवं कबंध वध का चित्रण हुआ है। एक और शिलाचित्र में राम धनुष-बाण लिए स्वर्ण मृग के पीछे दौड़ते हुए दिखाई पड़ते हैं। इसके उपरांत सुग्रीव से राम की मैत्री का दृश्य है। फिर, बाली और सुग्रीव के द्वंद्व युद्ध का चित्रण हुआ है। परवर्ती शिलाचित्रों में अशोक वाटिका में हनुमान की उपस्थिति, राम-रावण युद्ध, सीता की अग्नि परीक्षा और राम की अयोध्या वापसी के दृश्य हैं। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.