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    Khatu Shyam Ji: श्री खाटू श्याम जी क्यों कहलाए हारे का सहारा, जानिए अन्य नामों की भी कहानी

    By Suman SainiEdited By: Suman Saini
    Updated: Wed, 29 Nov 2023 01:18 PM (IST)

    Khatu Shyam Mandir राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू श्याम मंदिर लोगों की आस्था का मुख्य केंद्र बना हुआ है। मान्यताओं के अनुसार खाटू श्याम जी को भगवान कृष्ण के कलयुगी अवतार हैं। इसलिए इनकी इतनी ज्यादा मान्यता है। खाटू श्याम जी को और भी कई नामों से जाना जाता है जो उनके गुणों के आधार पर प्रसिद्ध हुए हैं।

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    Khatu Shyam Ji: खाटू श्याम बाबा कैसे बने हारे का सहारा।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Khatu Shyam Ji: राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू श्याम मंदिर लोगों के बीच बहुत ही लोकप्रिय है। देशभर के कोने-कोने से लोग अपनी मुराद लेकर यहां आते हैं। तीन बाण धारी, शीश के दानी और हारे का सहारा जैसे कई नामों से जाना जाता है। आइए जानते हैं कि खाटू श्याम जी को ये नाम क्यों मिले।

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    कौन हैं खाटू श्याम जी

    आज खाटू श्याम जी के रूप में प्रसिद्ध देवता असल में पांडवों में से भीम के पोते अर्थात घटोत्कच के बेटे हैं। जिनका असली नाम बर्बरीक है। उनमें बचपन से ही एक वीर योद्धा के गुण थे।

    इसलिए कहलाए हारे का सहारा

    महाभारत के युद्ध में हिस्सा लेने के लिए बर्बरीक ने अपनी माता से आज्ञा मांगी। तब उनकी मां को यह आभास हुआ कि कौरवों की सेना अधिक होने के कारण पांडवों को युद्ध में परेशानी हो सकती है। इस पर बर्बरीक की मां ने उन्हें आज्ञा देते हुए ये वचन लिया कि वह युद्ध में हार रहे पक्ष का साथ देंगे। तभी से खाटू श्याम हारे का सहारा कहलाने लगे। 

    अन्य नामों का अर्थ

    तीन बाण धारी - बर्बरीक से प्रसन्न होकर भगवान शिव उन्हें तीन अभेद्य बाण दिए थे, इसलिए इन्हें तीन बाण धारी भी कहा जाता है। इन तीन बाणों में इतनी ताकत थी कि महाभारत का युद्ध इन तीन बाणों द्वारा ही खत्म किया जा सकता था।

    शीश का दानी - अपनी मां के कहे अनुसार बर्बरीक युद्ध में हारने वाले पक्ष का साथ देने आए। लेकिन भगवान श्रीकृष्ण जानते थे कि कौरवों को हारता देखकर बर्बरीक कौरवों का साथ देंगे, जिससे पांडवों का हारना तय है। तब भगवान श्री कृष्ण ने ब्राह्मण का रूप बनाकर बर्बरीक से शीश दान में मांगा।  इसपर बर्बरीक ने अपनी तलवार के द्वारा भगवान के चरणों में अपना सिर अर्पित कर दिया। इसलिए उन्हें शीश का दानी कहा जाता है।

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    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'