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    Kedarnath Dham Yatra: केदारनाथ धाम की महिमा है बेहद निराली, जानें कैसे पड़ा इसका नाम?

    Updated: Wed, 08 May 2024 01:59 PM (IST)

    Facts about Kedarnath Temple केदारनाथ मंदिर में स्थापित शिवलिंग स्वयंभू है। इस वजह से मंदिर का महत्व अधिक बढ़ जाता है। शास्त्रों में जिक्र किया गया है कि सर्वप्रथम केदारनाथ मंदिर का निर्माण पांचों पांडवों ने किया था लेकिन वह समय के साथ विलुप्त हो गया। भगवान शिव के इस मंदिर के दर्शन के लिए अधिक संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

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    Kedarnath Dham Yatra: केदारनाथ धाम की महिमा है बेहद निराली, जानें कैसे पड़ा इसका नाम?

    धर्म डेस्क, नई नई दिल्ली। History of Kedarnath temple: केदारनाथ बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। मंदिर की एक खास विशेषता यह है कि वर्ष के 6 माह कपाट खुलते हैं और 6 माह मंदिर बंद रहता है। इसलिए कपाट खुलने पर अधिक संख्या में श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं। क्या आप जानते हैं कि इस मंदिर का नाम केदारनाथ कैसे पड़ा। अगर नहीं जानते, तो आइए आपको बताएंगे इसके बारे में विस्तार से।

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    ऐसे पड़ा केदारनाथ नाम

    पौराणिक कथा के अनुसार, देवी-देवताओं ने असुरों से अपने बचाव के लिए देवों के देव महादेव से प्रार्थना की थी। इसलिए भगवान शिव बैल के रूप में प्रकट हुए। इस बैल का नाम था 'कोडारम' था। बैल में असुरों का नाश करने की शक्ति थी। बैल के खुरों और सींग ने उनका का नाश किया, जिन्हे प्रभु ने मंदाकिनी नदी में फेंक दिया था। इसी कोडारम नाम से केदारनाथ नाम पड़ा।

    केदारनाथ मंदिर में स्थापित शिवलिंग स्वयंभू है। इस वजह से मंदिर का महत्व अधिक बढ़ जाता है। शास्त्रों में जिक्र किया गया है कि सर्वप्रथम केदारनाथ मंदिर का निर्माण पांचों पांडवों ने किया था, लेकिन वह समय के साथ विलुप्त हो गया। इसके बाद आदि गुरु शंकराचार्य जी ने इस मंदिर का पुनः निर्माण किया था।

    कब खुलेंगे धामों के कपाट?

    10 मई यानी अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर यमुनोत्री और गंगोत्री के कपाट खुलेंगे। साथ ही इसी दिन केदारनाथ धाम के कपाट भी खुलेंगे और बद्रीनाथ धाम के कपाट 12 मई 2024 को खोले जाएंगे।

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    डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।