Move to Jagran APP

Kamakhya Temple: 52 शक्तिपीठों में प्रमुख है कामाख्या देवी, उनकी महिमा से ब्रह्मपुत्र का पानी हो जाता है लाल

Kamakhya Temple असम के गुवाहाटी से दो मिल दूर पश्चिम में नीलगिरि पर्वत पर स्थित सिद्धि पीठ को कामाख्या मंदिर के नाम जाना जाता है। इसका उल्लेख कालिका पुराण में मिलता है। कामाख्या मंदिर को सबसे पुराना शक्तिपीठ माना जाता है।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Fri, 11 Jun 2021 01:30 PM (IST)Updated: Fri, 11 Jun 2021 01:30 PM (IST)
Kamakhya Temple: 52 शक्तिपीठों में प्रमुख है कामाख्या देवी, उनकी महिमा से ब्रह्मपुत्र का पानी हो जाता है लाल
Kamakhya Temple: 52 शक्तिपीठों में प्रमुख है कामाख्या देवी, उनकी महिमा से ब्रह्मपुत्र का पानी हो जाता है लाल

Kamakhya Temple: असम के गुवाहाटी से दो मिल दूर पश्चिम में नीलगिरि पर्वत पर स्थित सिद्धि पीठ को कामाख्या मंदिर के नाम जाना जाता है। इसका उल्लेख कालिका पुराण में मिलता है। कामाख्या मंदिर को सबसे पुराना शक्तिपीठ माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, माता सती के योनि का भाग कामाख्या नामक स्थान पर गिरा था। इसके उपरांत इस स्थान पर देवी के पावन मंदिर को स्थापित किया गया। कामाख्या देवी मंदिर मां दुर्गा के शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ है। इस मंदिर में तांत्रिक अपनी सिद्धियों को सिद्ध करने आते हैं।

loksabha election banner

कैसे हुआ कामाख्या शक्तिपीठ का निर्माण

माता सती ने अपने पिता के व्यवहार से गुस्से में आकर अपने शरीर को हवन कुंड की अग्नि में समर्पित कर दिया था। महादेव उनके पार्थिव शरीर को कंधे पर रखकर तांडव करने लगे थे।, जिससे संसार में प्रलय की स्थिति बन गई थी। तब संसार को प्रलय से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को कई हिस्सों में काट दिया, जिस जगह भी ये टुकड़े गिरे, वे स्थान शक्तिपीठ कहलाए। माता सती का योनि भाग कामाख्या स्थान पर गिरा था। इसी वजह से इसको कामाख्या देवी के नाम से जाना जाता है। माता सती के कुल 52 शक्तिपीठ हैं, लेकिन एक शक्तिपीठ पाकिस्तान में स्थित है। भारत में कुल 51 शक्तिपीठ हैं।

कुंड की होती है पूजा

51 शक्तिपीठ में से सिर्फ कामाख्या मंदिर को महापीठ का दर्जा हासिल है, लेकिन इस मंदिर में मां दुर्गा और मां जगदंबा का कोई चित्र और मूर्ति नहीं है। भक्त मंदिर में बने एक कुंड पर फूल अर्पित कर पूजा करते हैं। इस कुंड को फूलों से ढककर रखा जाता है क्योंकि कुंड देवी सती की योनि का भाग है, जिसकी पूजा-अर्चना भक्त करते हैं। इस कुंड से हमेशा का पानी का रिसाव होता है। इसी वजह से इसे फूलों से ढ़ककर रखा जाता है।

नदी का पानी हो जाता है लाल

मान्यता के अनुसार, ब्रह्मपुत्र नदी का पानी तीन दिन के लिए लाल हो जाता है। इसका कारण कामाख्या देवी मां के रजस्वला होने को बताया जाता है। ऐसा हर साल अम्बुवाची मेले के समय ही होता है। इन तीन दिनों में भक्तों का बड़ा सैलाब इस मंदिर में उमड़ता है। भक्तों को प्रसाद के रूप में लाल रंग का सूती कपड़ा भेंट किया जाता है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.