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Yamraj Temple: मरने के बाद इस मंदिर में लगती है आत्मा की हाजिरी, यमराज सुनाते हैं स्वर्ग और नरक के फैसले

Yamraj Temple हिमाचल प्रदेश में कई छोटे-बड़े अनोखे मंदिर हैं। इनमें एक मंदिर चंबा जिले के भरमौर में है। यह मंदिर मृत्यु के देवता यमराज को समर्पित है। इस मंदिर में यमराज विराजते हैं। इस मंदिर में एक अन्य कक्ष है। इसमें चित्रगुप्त विराजमान हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarPublished: Sat, 03 Jun 2023 03:06 PM (IST)Updated: Sat, 03 Jun 2023 03:06 PM (IST)
Yamraj Temple: मरने के बाद इस मंदिर में लगती है आत्मा की हाजिरी, यमराज सुनाते हैं स्वर्ग और नरक के फैसले
Yamraj Temple: इस मंदिर में लगती है आत्मा की हाजिरी, यमराज सुनाते हैं स्वर्ग और नरक के फैसले

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Yamraj Temple: सनातन धर्म में पुनर्जन्म का विधान है। गरुड़ पुराण में पुनर्जन्म के बारे में विस्तार से बताया गया है। गरुड़ पुराण के अनुसार व्यक्ति द्वारा उसके जीवनकाल में किए गए कर्मों के आधार पर उसे रूप यानी अगला जन्म मिलता है। अगर कोई व्यक्ति पापी और अधर्मी है, तो मरने के बाद उसे नरक की प्राप्ति होती है। वहीं, पुण्य करने वाले व्यक्ति को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यता है कि व्यक्ति के कर्मों का पूरा ब्योरा जानने के बाद यमराज फैसला सुनाते हैं। इसमें अच्छे कर्म करने वाले लोगों को स्वर्ग में स्थान प्राप्त होता है और बुरे कर्म करने वाले लोगों को नरक में धकेल दिया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि यमराज की अदालत कहां लगती है ? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-

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यमराज की अदालत

हिमालय की गोद में बसा हिमाचल प्रदेश अपनी प्राकृतिक खूबसूरती और रहस्यों के लिए प्रसिद्ध है। हिमाचल प्रदेश में कई छोटे-बड़े अनोखे मंदिर हैं। इनमें एक मंदिर चंबा जिले के भरमौर में है। यह मंदिर मृत्यु के देवता यमराज को समर्पित है। इस मंदिर में यमराज विराजते हैं। इस मंदिर में एक अन्य कक्ष है। इसमें चित्रगुप्त विराजमान हैं। भाई दूज के दिन मंदिर परिसर में मेला लगता है। इस मौके पर बड़ी संख्या में लोग मंदिर आते हैं। हालांकि, बहुत कम लोग ही मंदिर के कक्ष में प्रवेश करते हैं। लोग बाहर से ही मृत्यु के देवता यमराज को प्रणाम कर लेते हैं। साथ ही अनजाने में किए हुए पाप के लिए क्षमा याचना करते हैं।

धार्मिक मान्यता

कहते हैं कि यमराज के दूत किसी व्यक्ति के मरने के बाद उसकी आत्मा को सबसे पहले इसी मंदिर में लेकर आते हैं। आसान शब्दों में कहें तो मरने के बाद यमराज की अदालत में आत्मा की पहली हाजिरी लगती है। उस समय चित्रगुप्त कर्मों का लेखा-जोखा यमराज को सुनाते हैं। तब यमराज स्वर्ग और नरक के फैसले सुनाते हैं। इसमें अच्छे कर्म करने वाले व्यक्ति को स्वर्ग भेजा जाता है और बुरे कर्म करने वाले को नरक भेजा जाता है। इस मंदिर की चारों दिशाओं में चार अदृश्य द्वार हैं। यमराज के दूत इन दरवाजों से अच्छे कर्म करने वाले को स्वर्ग ले जाते हैं और बुरे कर्म करने वाले को नरक ले जाते हैं।

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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