भारत का प्राचीन द्वार द्वारका
द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा यदुवंशियों की राजधानी के रूप में चुनी गई यह नगरी लंबे समय तक अरब सागर के पार देशों से संपर्क के लिए भारत का द्वार कही जाती रही है। विदेशी व्यापार से काफी संपदा एकत्रित होने के बाद इसे स्वर्णद्वारका भी कहा जाने लगा। आधुनिक द्वारका गुजरात में पश्चि
द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा यदुवंशियों की राजधानी के रूप में चुनी गई यह नगरी लंबे समय तक अरब सागर के पार देशों से संपर्क के लिए भारत का द्वार कही जाती रही है। विदेशी व्यापार से काफी संपदा एकत्रित होने के बाद इसे स्वर्णद्वारका भी कहा जाने लगा। आधुनिक द्वारका गुजरात में पश्चिमी तट पर अहमदाबाद से 511 किलोमीटर दूरी पर स्थित है, जो भारत के चार धामों में से एक है। कहा जाता है कि श्रीकृष्ण के अंतिम काल में प्राचीन द्वारका सागरतल में समा गई थी। समुद्रविज्ञान के राष्ट्रीय संस्थान ने अरब सागर से द्वारका नगरी की चार दीवारें खोजी हैं, जिससे महाभारत युग की सभ्यता व संस्कृति पर प्रकाश डालने का मार्ग प्रशस्त हो रहा है। वर्तमान द्वारका के द्वारकाधीश मंदिर के गर्भगृह की प्राचीनता ईसापूर्व पांच सौ वर्ष आंकी गई है। इस मंदिर के चरण पखारता अरब सागर इसकी सुंदरता में चार चांद लगा देता है।
(देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार से साभार)
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