जानें, हनुमानजी के कुछ ऐसे प्राचीन मंदिर जहां कोई भी कामना हो पूरी अवश्य होती
हनुमान के कुछ ऐसे मंदिर हैं जिनकी विशेषता अदभूत है कहतें हैं यहां भगवान के दर्शन से कामना पूरी हो जाती है । भगवान हनुमान को शक्ति का प्रतीक माना जाता ...और पढ़ें

हनुमान के कुछ ऐसे मंदिर हैं जिनकी विशेषता अदभूत है कहतें हैं यहां भगवान के दर्शन से कामना पूरी हो जाती है । भगवान हनुमान को शक्ति का प्रतीक माना जाता है। हनुमान एक ऐसे देवता हैं, जिनका मंदिर हर स्थान पर आसानी से मिल जाता है। कलियुग में सबसे ज्यादा भगवान शंकर के ग्यारहवें रुद्र अवतार श्रीहनुमानजी को ही पूजा जाता है। इसीलिए, हनुमानजी को कलियुग का जीवंत देवता भी माना जाता है। ये सारे मंदिर जितने ही पुराने हैं उतने ही महत्वपूर्ण भी है कहते हैं इन मंदिरों में मांगी गई सारी मनोकामना पूरी होती है , आज हम हम आपको कुछ विशेष मंदिरों के बारे में बता रहे हैं। ये हैं वो मंदिर-
1. हनुमान मंदिर, इलाहबाद (उत्तर प्रदेश)
इलाहबाद किले से सटा यह मंदिर लेटे हुए भगवान हनुमान की प्रतिमा वाला प्राचीन मंदिर है। इसमें हनुमान जी लेटी हुई मुद्रा में हैं। मूर्ति20 फीट लम्बी है। जब बारीश में बाढ़ आती है तो मंदिर जलमग्न हो जाता है, तब मूर्ति को कहीं ओर ले जाकर सुरक्षित रखा जाता है। इस मंदिर की काफी मान्यता है ।
2. हनुमानगढ़ी, अयोध्या
अयोध्या भगवान श्रीराम की जन्मस्थली है। हनुमानगढ़ी मंदिर प्रसिद्ध है। यह मंदिर राजद्वार के सामने ऊंचे टीले पर बना है। मंदिर के चारों ओर निवास साधु-संत रहते हैं। हनुमानगढ़ी के दक्षिण में सुग्रीव टीला व अंगद टीला नामक जगह हैं। मंदिर की स्थापना 300 साल पहले स्वामी अभयारामदासजी ने की थी। कहते हैं इस राम की नगरी में रामभक्त हनुमान यहां के लोगों के लिए बहुत खास हैं।
3. सालासर हनुमान मंदिर, सालासर(राजस्थान)
यह मंदिर राजस्थान के चूरू जिले में है। गांव का नाम सालासर है, इसलिए सालासर बालाजी के नाम यह प्रसिद्ध है। यह प्रतिमा दाड़ी व मूंछवाली है।यह एक किसान को खेत में मिली थी, जिसे सालासर में सोने के सिंहासन पर स्थापित किया गया है।
4 हनुमान धारा
उत्तर प्रदेश में सीतापुर के पास यह हनुमान मंदिर है। यह पर्वतमाला के मध्यमें है। हनुमान की मूर्ति के ठीक ऊपर दो कुंड हैं, जो हमेशा भरे रहते हैं। उनमें से पानी बहता रहता है। इस धारा का जल मूर्तिके ऊपर से बहता है। इसीलिए, इसे हनुमान धारा कहते हैं। दूर दूर से लोग अपनी दुखों के निवारण को यहां आते हैं।
5 संकटमोचन मंदिर, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
यह मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में है। इस मंदिर के चारों ओर एक छोटा सा वन है। मंदिर के प्रांगण में भगवान हनुमान की दिव्य प्रतिमा है। ऐसी मान्यता है कि हनुमानजी की यह मूर्ति गोस्वामी तुलसीदासजी के तप एवं पुण्य से प्रकट हुई स्वयंभू मूर्ति है।
6 बेट द्वारका, गुजरात
बेट द्वारका से चार मील की दूरी पर मकरध्वज के साथ में भगवान हनुमान की मूर्ति स्थापित है। कहते हैं कि पहले मकरध्वज की मूर्ति छोटी थी परंतु अब दोनों मूर्तियां एक सी ऊंची हो गई हैं। मकरध्वज को हनुमानजी का पुत्र बताया गया है, जिसका जन्म हनुमानजी के पसीने द्वारा एक मछली से हुआ था।
7 बालाजी हनुमान मंदिर, मेहंदीपुर(राजस्थान)
राजस्थान के दौसा जिले के पास दो पहाडिय़ों के बीच बसा हुआ मेहंदीपुर है। यह मंदिर जयपुर-बांदीकुई-बस मार्ग पर जयपुर से लगभग 65 किलोमीटर दूर है। यह मंदिर करीब 1 हजार साल पुराना है। यहां चट्टान में हनुमान की आकृति स्वयं उभर आई थी। इसे ही श्री हनुमान जी का स्वरूप माना जाता है।
8 डुल्या मारुति, पूना (महाराष्ट्र)
पूना के गणेशपेठ में बना यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है। श्रीडुल्या मारुति का मंदिर संभवत: 350 वर्ष पुराना है। मूल रूप से डुल्या मारुति की मूर्ति एक काले पत्थर पर अंकित की गई है। इस मूर्ति की स्थापना श्रीसमर्थ रामदास स्वामी ने की थी।
9 श्री कष्टभंजन हनुमान मंदिर, सारंगपुर(गुजरात)
अहमदाबाद-भावनगर के पास स्थित बोटाद जंक्शन से सारंगपुर 12 मील दूर है। महायोगिराज गोपालानंद स्वामी ने इस मूर्ति की प्रतिष्ठा की थी। जनश्रुति है कि प्रतिष्ठा के समय मूर्ति में भगवान हनुमान का आवेश हुआ और यह हिलने लगी। यह मंदिर स्वामीनारायण सम्प्रदाय का एकमात्र हनुमान मंदिर है।
10 यंत्रोद्धारक हनुमान
बेल्लारी जिले के हंपी नामक नगर में एक हनुमान मंदिर है। इन्हें यंत्रोद्धारक हनुमान कहा जाता है। यही क्षेत्र प्राचीन किष्किंधा नगरी है। संभवतःयहीं किसी समय वानरों का विशाल साम्राज्य स्थापित था। आज भी यहां अनेक गुफाएं हैं।

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