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Ganesh Chaturthi 2022: गणेश चतुर्थी पर करिए महाराष्ट्र के इन 8 मंदिरों के दर्शन, जहां पर विराजमान हैं स्वयंभू गणपति बप्पा

Ganesh Chaturthi 2022 गणेश चतुर्थी के मौके पर महाराष्ट्र में स्थिति ऐसे आठ मंदिरों के दर्शन करिए जिन्हें अष्टविनायक मंदिर कहा जाता है। माना जाता है कि इस मंदिरों में भगवान गणेश स्वयं प्रकट हुए थे। जानिए इन अष्टविनायक मंदिरों के बारे में

By Shivani SinghEdited By: Published: Tue, 30 Aug 2022 09:35 AM (IST)Updated: Tue, 30 Aug 2022 09:54 AM (IST)
Ganesh Chaturthi 2022: गणेश चतुर्थी पर करिए महाराष्ट्र के इन 8 मंदिरों के दर्शन, जहां पर विराजमान हैं स्वयंभू गणपति बप्पा
Ganesh Chaturthi 2022: गणेश चतुर्थी करिए महाराष्ट्र के इन 8 मंदिरों के दर्शन, जहां पर स्वयंभू हैं गणपति की मूर्तियां

नई दिल्ली, Ashtavinayak Temple: हिंदू धर्म में भगवान गणेश का काफी अधिक महत्व है। भगवान गणेश को बुद्धि देवता, विघ्न हर्ता, कष्टहर्ता, सिद्धि विनायक जैसे कई नामों से जानते हैं। घर या ऑफिस में किसी भी तरह का शुभ काम की शुरुआत करनी है, तो भगवान गणेश को सबसे पहले याद किया जाता है। प्रथम पूज्य गणेश भगवान के मंदिर देश के कोने-कोने में मौजूद है। इनमें से कई ऐसे गणेश मंदिर है जो अपने चमत्कारों के कारण सुप्रसिद्ध है। इन्हीं मंदिरों में से महाराष्ट्र में स्थित अष्टविनायक मंदिर काफी फेमस है। इस अष्टविनायक में एक नहीं बल्कि आठ गणेश मंदिर है। हर एक मंदिर का अपना-अपना महत्व है। इन मंदिरों का जिक्र विभिन्न पुराणों जैसे गणेश और मुद्गल पुराण में भी किया गया है। ये मंदिर अत्यंत प्राचीन हैं और इनका ऐतिहासिक महत्‍व भी है। यह प्रसिद्ध अष्टविनायक मंदिर महाराष्ट्र के आसपास स्थित है। जानिए इन मंदिरों के बारे में।

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श्री मयुरेश्वर (मोरेश्र्वर) – मोरगांव

अष्टविनायक में पहला नाम मोरगांव में स्थित श्री मयुरेश्वर है। इस जगह पर गणपति जी का स्वयंभू आद्यस्थान हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान गणेश मोर पर सवार होकर आए थे और इस स्थान पर सिंधु नामक राक्षस का वध किया था। इसी कारण इसे मयुरेश्वर कहा जाता है।

मंदिर में मयूरेश्वर जी की अत्यंत आकर्षक मूर्ति है। इसमें गणपति बप्पा बैठे हुए मुद्रा में नजर आ रहे हैं। उनकी सूंड बाई ओर है। इसके साथ ही तीन आंखें हैं। इसके साथ ही आंखों और नाभि में चमकीले हीरे है। सिर पर नागराज का फन है। इसके साथ ही इस मूर्ति के द्वार पर नंदी की भी मूर्ति है जो आमतौर पर भगवान शिव के मंदिर के बाहर होती है। बता दें कि इस मंदिर के चार द्वार है, जिन्हें सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग का प्रतीक माना जाता हैं।

श्री सिद्धिविनायक – सिद्धटेक

हमदनगर के सिद्धटेक के सिद्धिविनायक मंदिर को अष्टविनायक का दूसरा मंदिर कहा जाता है। इस मंदिर को लेकर पौराणिक कथा है कि भगवान विष्णु, मधु और कैटभ नामक असुरों से कई वर्षों तक लड़ते रहे। लेकिन सफलता हासिल नहीं हो रही थी। ऐसे में भगवान शिव ने उन्हें गणपति जी की आराधना के लिए कहा। इसी स्थान पर भगवान विष्णु ने गणपति जी की आराधना की और मधु और कैटभ का वध किया। इसी कारण इसे सिद्धिविनायक मंदिर कहा जाता है। इस स्थान पर भगवान विष्णु का भी मंदिर स्थित है।

सिद्धि विनायक मंदिर में भगवान गणेश की मूर्ति 3 फीट ऊंची और ढाई फीट चौड़ी है। इसके साथ ही गणपति जी की सूंड दाईं ओर है।

श्री बल्लाळेश्वर – पाली

अष्टविनायक का तीसरा मंदिर रायगढ़ के पाली गांव में स्थित है। इस मंदिर का नाम भगवान गणेश के प्रिय भक्त बल्लाल के नाम पर रखा गया है। पौराणिक कथा के अनुसार, परम भक्त बल्लाल को उनके परिवार से गणेश जी की मूर्ति के साथ जंगल में फेंक दिया था। ऐसे में बल्लाल ने सिर्फ गणपति जी का स्मरण किया। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर इसी स्थान पर दर्शन दिए थे और कालांतर तक रहने का आशीर्वाद दिया था।

श्री वरदविनायक – महड

अष्टविनायक का चौथा मंदिर श्री वरदविनायक मंदिर रायगढ़ के महाद गांव में स्थित है। माना जाता है कि इस मंदिर में भक्त अपनी मुराद को लेकर आते हैं और उन्हें सफलता हासिल होती है।

श्री चिंतामणी – थेऊर

अष्टविनायक का पांचवां मंदिर श्री चिंतामणी पुणे जिले के थेऊर गांव पर पड़ता है। ये मंदिर भीमा नदी, मुला और मुथा नदी के संगम के पास स्थित है। यहां पर गणपति की मूर्ति स्वयंभू है जो पूर्वाभिमुख कहलाती है। इस मूर्ति में भगवान की सूंड बाईं ओर मुड़ी हुई है और उसकी आँखों में सुंदर हीरे जड़े हुए हैं। मूर्ति में वह पल्थी मार कर बैठे हुए है। चिंतामणि गणेश के रूप में भगवान गणेश मन की शांति लाने वाले और मन की सभी उलझनों को दूर करने वाले भगवान माने जाते हैं।

श्री गिरिजात्मज – लेण्याद्री

अष्टविनायक का छठा मंदिर श्री गिरिजात्मज पुणे जिले के लेण्याद्री गांव में स्थित है। गिरिजात्मज अष्टविनायक मंदिर अष्टविनायक का एकमात्र मंदिर है जो एक पहाड़ पर है और बौद्ध गुफा के स्थान पर बनाया गया है। गिरिजात्मज का अर्थ है - गिरिजा (पार्वती) के आत्मज (पुत्र)। यानी गिरिजा देवी पार्वती का दूसरा नाम है और 'आत्माज' का अर्थ है 'पुत्र'। यहां पर गणपति जी शिशु के रूप में अभिव्यक्ति है।

मंदिर को एक ही पत्थर की पहाड़ी से उकेरा गया है। करीब 307-315 सीढ़ियां चढ़ने के बाद इस मंदिर में पहुंचा जा सकता है। पर्वत की 18 बौद्ध गुफाओं में से 8वीं गुफा गिरजात्मज गणपति मंदिर की है।

श्री विघ्नेश्वर – ओझर

अष्टविनायक के सातवें मंदिर पुणे जिले में स्थित ओझर गांव में है। अष्टविनायक मंदिरों में से विघ्नेश्वर मंदिर एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसमें एक सुनहरा गुंबद (सोनायचा कलश) और शिखर है। एक किंवदंती के अनुसार, इसी स्थान पर भगवान गणेश ने विघ्नासुर नाम असुर का वध किया था। तभी से यह मंदिर विघ्नेश्वर, विघ्नहर्ता और विघ्नहार के रूप में जाना जाता है।

श्री महागणपती – रांजणगाव

अष्टविनायक के आठवां मंदिर श्री महागणपती पुणे जिले के रांजणगाव गांव में स्थित है। रंजनगांव की मूर्ति भगवान गणेश के सबसे शक्तिशाली प्रतिनिधित्व महागणपति की है। इस मंदिर में भगवान गणेश को पेड़ा का भोग लगाया जाता है। इस मंदिर में गणपति कमल पर बैठे हुए हैं। इसके साथ ही उनकी पत्नियां सिद्धि और रिद्धि भी विराजित है। भगवान गणेश की मूर्ति को 'महोत्कट' भी कहा जाता है। कहा जाता है कि मूर्ति में भगवान गणेश की 10 सूंड और 20 हाथ हैं।

Pic Credit- mahaganpatidevasthan


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