Dholkal Ganesh Temple: इस मंदिर से जुड़ी है गणपति बप्पा के एकदंत की कथा
Dholkal Ganesh Temple आज देशभर में गणेश चतुर्थी मनाई जा रही है। आज से 12 सितंबर तक चलने वाले गणेशोत्सव के लिए पंडालों और घरों में गणपति बप्पा की मूर्तियों की स्थापना की जा रही है।
Dholkal Ganesh Temple: आज देशभर में गणेश चतुर्थी मनाई जा रही है। आज से 12 सितंबर तक चलने वाले गणेशोत्सव के लिए पंडालों और घरों में गणपति बप्पा की मूर्तियों की स्थापना की जा रही है। आज हम आपको गणेश जी के उस मंदिर के बारे में बता रहे हैं, जहां पर परशुराम जी और गणपति में युद्ध हुआ था। उस युद्ध में गणेश जी का एक दांत टूट गया था, जिसके कारण गजानन एकदंत कहलाए।
3000 फीट की ऊंचाई पर है गणेश मंदिर
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में स्थित भगवान गणपति का यह विशेष मंदिर बैलाडिला की ढोलकल पहाड़ी पर स्थित है। समुद्र तल से 3000 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर में गणेश जी की प्रतिमा स्थापित है। गणेश जी की प्रतिमा ढोलक के आकार की बताई जाता है, जिस कारण से इस पहाड़ी का नाम ढोलकल पड़ा।
ढोलकर मंदिर की कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान गणेश और परशुराम जी में युद्ध इस पहाड़ी के शिखर पर हुआ था। यद्ध में परशुराम जी के फरसे से गणेश जी का एक दांत टूट गया। इस वजह से गजानन एकदंत कहलाए। परशुराम जी के फरसे से गजानन का दांत टूटा, इसलिए पहाड़ी के शिखर के नीचे के गांव का नाम फरसपाल रखा गया।
दक्षिण बस्तर के भोगामी आदिवासी परिवार अपनी उत्पत्ति ढोलकट्टा (ढोलकल) की महिला पुजारी से मानते हैं। इस घटना की याद में ही छिंदक नागवंशी राजाओं ने शिखर पर गणेश की प्रतिमा स्थापित की। पुरातत्ववेत्ताओं के अनुसार, ढोलकल शिखर पर ललितासन मुद्रा में विराजमान दुर्लभ गणेश प्रतिमा 11वीं शताब्दी की बताई जाती है।
लोग 12 महीने ढोलकर मंदिर में गणेश जी पूजा करते हैं। फरवरी माह में यहां पर मेले का आयोजन होता है।