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दुनिया के सूर्य मंदिर: भारत ही नहीं चीन और मिस्र में भी होती है सूर्य उपासना

छट सूर्य पूजा का उत्‍सव है, सूर्य आराधना केवल भारत में नहीं दुनिया के कई देशों में होती है और इन देशों में सूर्य मंदिर भी हैं।

By Molly SethEdited By: Published: Wed, 25 Oct 2017 03:35 PM (IST)Updated: Wed, 25 Oct 2017 03:35 PM (IST)
दुनिया के सूर्य मंदिर: भारत ही नहीं चीन और मिस्र में भी होती है सूर्य उपासना
दुनिया के सूर्य मंदिर: भारत ही नहीं चीन और मिस्र में भी होती है सूर्य उपासना

सबसे पहले भारत में कोणार्क का सूर्य मंदिर

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इस क्रम में सबसे पहले जानें कोणार्क के सूर्य मंदिर के बारे में जिसे अंग्रेज़ी में ब्लैक पगोडा भी कहा जाता है। ये मंदिर भारत के उड़ीसा राज्य के पुरी में है। इसे लाल बलुआ पत्थर एवं काले ग्रेनाइट पत्थर से 1236– 1264 ई.पू. में गंग वंश के राजा नृसिंहदेव ने बनवाया था। इसे यूनेस्को ने 1984 में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था। कलिंग शैली में निर्मित यह मंदिर एक बारह जोड़ी चक्रों वाले, सात घोड़ों से खींचे जाते सूर्य देव के रथ के रूप में बना है। सूर्य को यहां बिरंचि नारायण कहा जाता था। 

चीन में भी है सूर्य मंदिर 

चीन के बीजिंग में 1500 ई. में मियांग राजवंश के जियाजिंग सम्राट के बनवाये हुए सूर्य के मंदिर हैं। इस सूर्य मंदिर का प्रयोग इंपीरियल अदालत द्वारा पूजा के विस्तृत कृत्यों के लिए किया जाता था जिसमें उपवास, प्रार्थना, नाच और जानवरों की बलि भी होती थी। इस मंदिर की सबसे खास बात है लाल रंग का प्रयोग जो सूर्य के साथ जोड़ कर देखा जाता है। इसमें भोजन और शराब परोसने के लिए लाल बर्तन, रेड वाइन और सम्राट के लिए लाल कपड़े शामिल थे। मंदिर अब एक सार्वजनिक पार्क का हिस्सा है।

ईजिप्‍ट का सूर्य मंदिर जानते हैं क्‍या

प्राचीन मिस्र में, कई सूर्य मंदिर थे इन पुरानी स्मारकों में से अबू सिंबेल में रमसे के महान मंदिर, और पांचवें राजवंश द्वारा निर्मित परिसर शामिल थे। इनमें से केवल दो ही शेष बचे हैं,यूजरकैफ़ और न्यसेर। पांचवीं राजवंश के इन मंदिरों में आम तौर पर तीन खास चीजें होती थीं। जिसमें एक सबसे ऊंची मुख्य मंदिर इमारत जो एक छोटे से प्रवेश द्वार से जुड़ी होती थीं, जिसमें से होते हुए एक संकरे मार्ग होता था जो मुख्‍य मंदिर में पहुंचाता था। काफी पहले लुप्‍त हो चुका ये मंदिर अब 2006 में, पुरातत्वविदों को काहिरा के एक बाजार के नीचे खंडहर के रूप मिला। अनुमान है ये शायद रामसेस द्वितीय द्वारा निर्मित सबसे बड़े मंदिर का हिस्‍सा हो सकता है।


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