Move to Jagran APP

Diwali 2022: मध्य प्रदेश के इस मंदिर में प्रसाद के रूप में दिया जाता है सोना और चांदी

Diwali 2022 मध्य प्रदेश राज्य के रतलाम शहर में माता महालक्ष्मी का एक ऐसा मन्दिर स्थित है जहां भक्तों को सोना-चांदी और पैसा प्रसाद के रूप में मिलता है। आइए जानते हैं इस मन्दिर के विषय में रोचक कथा।

By Shantanoo MishraEdited By: Published: Fri, 21 Oct 2022 10:16 PM (IST)Updated: Sun, 23 Oct 2022 03:02 PM (IST)
Diwali 2022: मध्य प्रदेश के इस मंदिर में प्रसाद में मिलता है सोना और चांदी।

नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क | Diwali 2022, Ratlam Mahalaxmi temple: हिन्दू धर्म में दीपावली पर्व को अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन लोग अपने घरों को सुंदर रूप से सजाते हैं और संध्या काल में माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा विधि-विधान से करते हैं। इस दिन सभी मठ और देवालयों में विशेष पूज अर्चना की जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष दिवाली पर 24 अक्टूबर 2022 (Diwali 2022 Date) के दिन मनाया जाएगा। जैसा कि आप जानते हैं की दिवाली के दिन भगवान की पूजा अर्चना के बाद प्रसाद बांटा जाता है। कहीं मिठाई तो कहीं खिल-बतासे को प्रसाद के रूप में भी दिए जाते हैं।

loksabha election banner

लेकिन मध्यप्रदेश के रतलाम जिले में एक ऐसा अनोखा मंदिर है जहां सोने-चांदी के रूप में प्रसाद वितरित किया जाता है। जी हां! आपने सही सुना यहां माता महालक्ष्मी की पूजा के बाद दर्शन करने आए भक्तों को सोना चांदी से बने आभूषण प्रसाद के रूप में दिए जाते हैं। इसके साथ यहां आए लोग माता महालक्ष्मी के मंदिर में सोना चांदी इत्यादि अर्पित करते हैं और जीवन में सफलता की प्रार्थना करते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से साल के अंत में उनकी आय दोगुनी हो जाती है। आइए जानते हैं इस अद्भुत मंदिर के विषय में कुछ और रोचक बातें।

धनतेरस के दिन खुलते हैं इस अद्भुत मंदिर के कपाट

मध्यप्रदेश के रतलाम में स्थित माता महालक्ष्मी का यह मंदिर भक्तों के लिए केवल धनतेरस के ही दिन शुभ मुहूर्त में खोला जाता है। इसके बाद 5 दिनों तक यहां माता महालक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है और बड़े ही हर्षोल्लास के साथ दीपावली पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि जो भी भक्त माता महालक्ष्मी के श्रृंगार के लिए घर से आभूषण लाता है उसकी आय दोगुनी हो जाती है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

दिवाली के अवसर पर इस तरह सजाया जाता है मंदिर

दिवाली के समय मंदिर की सजावट ऐसी की जाती है कि दर्शन करने आए श्रद्धालु के मुंह भी खुले के खुले ही रह जाते हैं। यहां पूरे मंदिर को नोट और आभूषणों से सजाया जाता है। जिसकी कीमत 100 करोड़ तक पहुंच जाती है। इतना धन मंदिर की सजावट के लिए श्रद्धालु दान करते हैं। जिसके बाद उन्हें वह वापस भी कर दिया जाता है। उन्हें बकायदा इस धनराशि की रसीद दी जाती है और भाई दूज के दिन टोकन वापस देने पर धन और आभूषण को वापस भी कर दिया जाता है।

प्रसाद में मिठाई नहीं मिलते हैं सोने और चांदी के आभूषण

इस मंदिर की खास बात यह है कि दिवाली पर्व के दौरान दर्शनार्थियों को प्रसाद के रूप में आभूषण-नकदी इत्यादि दी जाती है। इस प्रसाद को प्राप्त करने के लिए दूर-दूर से इस मंदिर में भक्तों का ताता लगता है। लेकिन यहां मिलने वाले आभूषण को श्रद्धालु खर्च नहीं करते हैं बल्कि उन्हें तिजोरी में रख देते हैं। यह मान्यता है कि ऐसा करने से चौगुनी तरक्की होती है।

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.