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    Dashanan Mandir: देश के इस मंदिर में होती है लंकापति रावण की पूजा, सभी ग्रह दोष होते हैं दूर

    Updated: Sat, 12 Oct 2024 12:11 PM (IST)

    देशभर में भगवान श्रीराम को समर्पित कई मंदिर हैं जो किसी न रहस्य या अन्य कारण से प्रसिद्ध हैं लेकिन आप जानते हैं कि देश में एक ऐसा अनोखा भी मंदिर है जहां लंकापति रावण की पूजा होती है। यह मंदिर में दशहरा के दिन खुलता है। आइए जानते हैं इस मंदिर (Dashanan Mandir in Kanpur) की मान्यता के बारे में।

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    Dashanan Temple: रावण को समर्पित है यह मंदिर

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरा का पर्व मनाया जाता है। इसे विजयादशमी (Vijayadashami 2024) के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन प्रभु राम ने रावण का अंत किया था। इस शुभ अवसर पर राम जी की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही प्रिय चीजों का भोग लगाया जाता है। दशहरा (Dussehra 2024 Date) को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस दिन शुभ मुहूर्त में देशभर में रावण दहन (Ravan Dahan 2024 Shubh Muhurat) किया जाता है, लेकिन देश में एक ऐसा अनोखा मंदिर है, जहां दशहरा के दिन रावण का विशेष जलाभिषेक कर पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसे में आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में विस्तारपूर्वक।

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    अनोखा है ये मंदिर

    उत्तर प्रदेश के कानपुर (Dashanan Temple Location) शहर में एक मंदिर स्थित है, जिसे दशानन मंदिर के नाम से जाना जाता है। ऐसा बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण वर्ष 1868 में (Dashanan Temple History) महाराज गुरु प्रसाद ने करवाया था। दशहरा के दिन रावण का जलाभिषेक कर विशेष श्रृंगार किया जाता है। इसके बाद शुभ मुहूर्त में रावण की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही इस दिन यहां पर रावण का जन्मदिन उत्साह के साथ मनाया जाता है।

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    मंदिर से जुड़ी है ये मान्यता

    मान्यता है कि जब कोई साधक पूजा और दर्शन कर कोई मनोकामना करता है, तो उसकी सभी मुरादें जल्द पूरी होती हैं। दशहरा के दिन इस मंदिर में अधिक संख्या में भक्त आते हैं। सालभर मंदिर बंद रहता है और दशहरा के दिन ही मंदिर (Dashanan Temple Significance) के कपाट खुलते हैं। धार्मिक मान्यता हैं कि दशहरे के दिन दशानन मंदिर में लंकापति रावण की आरती के दौरान नीलकंठ के दर्शन श्रद्धालुओं को होते हैं और सभी ग्रह दोष दूर होते हैं।

    इसलिए मनाते हैं दशहरा

    पौराणिक कथा के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को भगवान श्रीराम ने रावण का अंत कर मां सीता को लंकापति रावण से मुक्त कराया था। इसी वजह से दशहरा के दिन रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतलों को जलाया जाता है। इस खास अवसर पर देश के कोने-कोने में अहंकार रूपी रावण का पुतला फूंक कर लोग मर्यादा पुरुषोत्तम राम की विजय का जश्न मनाते हैं।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।