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    सारनाथ में बुद्ध अस्थि अवशेष का दर्शन कर बौद्ध अनुयायी निहाल हुए

    By Abhishek sharmaEdited By: Abhishek sharma
    Updated: Mon, 03 Nov 2025 11:19 AM (IST)

    सारनाथ में बुद्ध के अस्थि अवशेषों के दर्शन से बौद्ध अनुयायी आनंदित हो गए। दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं ने इस पवित्र अवसर पर शांति और खुशी का अनुभव किया। यह घटना बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण और यादगार पल था।

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     मूलगंध कुटी बौद्ध मंदिर का 94वां वार्षिकोत्सव मनाया गया। 

    जागरण संवाददाता वाराणसी। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर सारनाथ में महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया के तत्वावधान में मूलगंध कुटी बौद्ध मंदिर का 94वां वार्षिकोत्सव मनाया गया। इस अवसर पर बौद्ध मंदिर में रखे भगवान बुद्ध के अस्थि अवशेष का दर्शन करने के लिए हजारों की संख्या में बौद्ध अनुयायी एकत्रित हुए।

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    विहाराधिपति भिक्षु आर सुमित्ता नन्द थेरो के नेतृत्व में मोती हीरा से जड़ित फ्लास्क में रखे भगवान बुद्ध का पवित्र अस्थि अवशेष मंदिर के मुख्य हाल में दर्शनार्थ रखा गया था।सुबह 5:30 बजे बौद्ध भिक्षुओं ने भगवान बुद्ध की पूजा अर्चना की और इसके बाद अस्थि अवशेष को दर्शन के लिए प्रस्तुत किया गया।

    इस अवसर पर श्रीलंका, वियतनाम, थाईलैंड, नेपाल, म्यांमार, श्रावस्ती, लखनऊ, कुशीनगर, बोध गया, लुम्बनी सहित स्थानीय बौद्ध मठ के भिक्षु और अनुयायी सुबह 6 बजे से 11 बजे तक बुद्ध अस्थि का दर्शन करते रहे। इस दौरान मंदिर के मुख्य गेट से लेकर सारनाथ चौराहे तक लंबी कतारें लगी रहीं।

    मंदिर और मठों को पंचशील झंडों, रंगीन बिजली की झालरों और फूलों से सजाया गया था। इस अवसर पर महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया के महासचिव भिक्षु पी शिबली थेरो, भिक्षु नन्द थेरो, भिक्षु मैत्री, डा चंद्रशेखर सिंह, प्रवीण श्रीवास्तव, संजय मौर्या, रामधीरज सहित अन्य बौद्ध मठ के भिक्षु भी उपस्थित रहे।

    पूरे दिन प्रसाद का वितरण

    कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर सारनाथ के मूलगंध कुटी बौद्ध मंदिर में भगवान बुद्ध के अस्थि दर्शन कर लौट रहे बौद्ध अनुयायियों को वियतनामी बौद्ध अनुयायियों द्वारा प्रसाद का वितरण किया गया। यह वितरण अपराह्न 2 बजे तक चलता रहा।

    इस आयोजन ने बौद्ध अनुयायियों के बीच एकता और श्रद्धा का भाव उत्पन्न किया। बौद्ध धर्म के अनुयायियों ने इस अवसर का लाभ उठाते हुए भगवान बुद्ध के अस्थि अवशेष का दर्शन किया और अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन किया।

    इस प्रकार का आयोजन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह बौद्ध संस्कृति और परंपरा को भी सहेजने का कार्य करता है। सारनाथ में आयोजित यह वार्षिकोत्सव बौद्ध अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर बना, जिसमें उन्होंने अपने धर्म के प्रति अपनी आस्था और श्रद्धा को प्रकट किया।