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    बोधगया

    By Edited By:
    Updated: Sat, 08 Mar 2014 12:44 PM (IST)

    बौद्ध धर्मावलंबियों के चार प्रमुख तीथस्थलों में से एक बोधगया प्रमुख आध्यात्मिक नगर है। यह स्थान बहुत ही पवित्र माना जाता है। वर्ष 2002 में यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में महाबोधि मंदिर शामिल है। बौद्धमंदिर में भगवान बुद्ध का पद्माकार आसान है। मान्यता है कि वे उसी पर बैठकर ध्यानयोग किया करते थे। महाबोधी मंदिर के नजदीक ही बोधि वृक्ष है। उस वृक्ष्

    बौद्ध धर्मावलंबियों के चार प्रमुख तीथस्थलों में से एक बोधगया प्रमुख आध्यात्मिक नगर है। यह स्थान बहुत ही पवित्र माना जाता है। वर्ष 2002 में यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में महाबोधि मंदिर शामिल है। बौद्धमंदिर में भगवान बुद्ध का पद्माकार आसान है।

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    मान्यता है कि वे उसी पर बैठकर ध्यानयोग किया करते थे। महाबोधी मंदिर के नजदीक ही बोधि वृक्ष है। उस वृक्ष के नीचे ही सिद्धार्थ गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। बोधगया या उरुवेला (बुद्ध के समय कहलाता था) हिंदुओं और बौद्धों का एक पवित्र तीर्थ स्थल है। क्योंकि गौतम बुद्ध भगवान विष्णु के नावें अवतार माने जाते हैं। बोधगया के कुछ ही दूरी पर गया शहर है जहां हिंदू अपने पूर्वजों का पिंडदान करवाने आते हैं।

    दर्शनीय स्थल

    महाबोधि मंदिर, पीपल वृक्ष, अनिमेषलोचन चैत्य, चंक्रमण, रत्नाकार, मुचलिन्द सरोवर, तिब्बती मंदिर, चीन का मंदिर, जापानी मंदिर, थाई मंदिर, भूटान का मंदिर, पुरातात्विक संग्रहालय दर्शनीय है। बोघगया से 12 किमी पर ढोगेश्वरी गुफा है। जहां बुद्ध ने मनन-चिंतन किया था।

    आसपास के अन्य आकर्षण

    गया-गया हिंदुओं का पवित्र स्थल माना जाता है। यह पितृदेवों का स्थल है। यहां हिंदु अपने पूर्वजों का पिंडदान करने आते हैं। फाल्गु नदी के किनारे विष्णुपाद का मंदिर तीर्थयात्रिकों को अपने ओर आकर्षित करता है। विष्णुपाद मंदिर में भगवान विष्णु के पैरों के निशान 40 सेमी लंबे और चांदी की परत से मढ़े हुए है। मंदिर परिसर में एक बरगद का वृक्ष है जिसे अक्षयवट कहा जाता है।

    बाराबार गुफा

    बाराबार गुफा व नागार्जुनी पहाड़ियां बोधगया से 41 किमी दूर है। इनमें चट्टानों को काटकर बने सात गुफा मंदिर है जिनमें चार बाराबार पहाड़ी पर है। यह स्थान महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थलों में से एक है। ठोस चट्टानों से निकली गुफाओं में बुद्ध की जीवन की झलकियां दर्शाई गई है। ये दो गुफाएं अशोक द्वारा आजीविका के भिक्षुओं को समर्पित की गई है।

    करण चौपा गुफा

    यहां का प्रवेश मिस्त्री शैली में है। गुफा के भीतरी हिस्से व चबूतरे पर पॉलिश की गई है।

    सुदामा गुफा

    यहां का प्रवेश मिस्त्री शैली में है और केवल दो ही कक्ष है।

    लोमश ऋषि गुफा

    लोमश ऋषि गुफा का प्रवेश द्वार मिस्त्री शैली में है और केवल बाहरी कमरों की दीवार पर पॉलिश की गई है।

    विश्व झोंपड़ी गुफा

    इस गुफा में बाहरी कक्ष है जिसमें दीवारों पर पॉलिश व चपटी छत है। दाएं हाथ की दीवार पर एक शिलालेख भी खुदा हुआ है।

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