बदरीनाथ जो हैं भगवान विष्णु के अवतार..
नर-नारायण पर्वत के मध्य स्थित बदरीनाथ को भगवान विष्णु का अवतार माना गया है। धर्मग्रंथों में उल्लेख है कि स्वर्ग और धरती पर असंख्य तीर्थ हैं, लेकिन बद्रिकाश्रम सरीखा तीर्थ न कोई था, न कोई है और न कोई होगा। कथा के अनुसार, गंगाजी ने जब स्वर्ग से धरती के लिए प्रस्थान किय
नर-नारायण पर्वत के मध्य स्थित बदरीनाथ को भगवान विष्णु का अवतार माना गया है। धर्मग्रंथों में उल्लेख है कि स्वर्ग और धरती पर असंख्य तीर्थ हैं, लेकिन बद्रिकाश्रम सरीखा तीर्थ न कोई था, न कोई है और न कोई होगा।
कथा के अनुसार, गंगाजी ने जब स्वर्ग से धरती के लिए प्रस्थान किया तो जल का वेग इतना तीव्र था कि संपूर्ण मानवता खतरे में पड़ जाती। इसलिए गंगाजी बारह पवित्र धाराओं में बंट गईं। इन्हीं में एक है अलकनंदा, जिसके तट पर बद्रिकाश्रम स्थित है। समुद्र तल से 3133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर का निर्माण आठवीं सदी में आदि गुरु शंकराचार्य ने करवाया था।
बाबा के दर पर भक्तों के जयकारे
आज खुले बदरी विशाल के कपाट-
श्री बदरी विशाल के कपाट सोमवार सुबह 4:05 बजे से श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। अलकनंदा पुल से बदरीनाथ मंदिर परिसर बदरीधाम को फूलों से सजाया गया है। भगवान नारायण की उत्सव डोली बदरीनाथ पहुंच गई। पुष्प सेवा समिति के सदस्यों ने हर वर्ष की तरह इस बार भी ऋषिकेश से लाए गए फूलों से बदरीधाम को सजाया-संवारा है। बदरीनाथ धाम के हक हकूकधारी बदरीनाथ पहुंच चुके हैं। धाम में अधिकांश दुकानें खुलकर सजाई जा चुकी है। एक दर्जन स्वयं सेवी संस्थाओं ने अपने-अपने भंडारे भी लगाए हैं।
श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति द्वारा चार व पांच मई को बदरीनाथ पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था खुद ही की है। मंदिर समिति के सीईओ बीडी सिंह ने बताया कि श्रद्धालु दो दिन समितिके गेस्ट हाउस में नि:शुल्क रहेंगे।
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