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    Bada Mangal 2024: कैसे हुई बड़ा मंगल मनाने की शुरुआत? प्राचीन हनुमान मंदिर से जुड़ा है इसका इतिहास

    धार्मिक मान्यता है कि बड़ा मंगल के दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के भक्त हनुमान जी की पूजा करना जातक के लिए बेहद फलदायी होता है। धर्म ग्रंथों की मानें तो ज्येष्ठ महीने के मंगलवार को भगवान श्री राम की मुलाकात हनुमान जी से हुई थी। इसी वजह से ज्येष्ठ महीने के सभी मंगलवार को बड़ा मंगल के रूप में मनाया जाता है।

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sun, 26 May 2024 01:20 PM (IST)
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    Bada Mangal 2024: कैसे हुई बड़ा मंगल मनाने की शुरुआत? प्राचीन हनुमान मंदिर से जुड़ा है इसका इतिहास

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Prachin Hanuman Mandir Aliganj: ज्येष्ठ महीने में पड़ने वाले सभी मंगवलार को बड़ा मंगल के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि बड़ा मंगल के दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के भक्त हनुमान जी की पूजा करना जातक के लिए बेहद फलदायी होता है। धर्म ग्रंथों की मानें तो ज्येष्ठ महीने के मंगलवार को भगवान श्री राम की मुलाकात हनुमान जी से हुई थी। इसी वजह से ज्येष्ठ महीने के सभी मंगलवार को बड़ा मंगल के रूप में मनाया जाता है। बड़ा मंगल का इतिहास उत्तर प्रदेश के नवाब से जुड़ा हुआ है। चलिए जानते हैं बड़ा मंगल की शुरुआत किस तरह हुई?

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    इस तरह हुई बड़ा मंगल की शुरुआत

    शास्त्रों की मानें तो बड़ा मंगल का उल्लेख रामायण और महाभारत में देखने को मिलता है, लेकिन इसका इतिहास उत्तर प्रदेश के जिला लखनऊ के अलीगंज में स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर से है। ऐसा बताया जाता है कि 400 वर्ष पहले अवध के नवाब मोहम्मद अली शाह के पुत्र की तबीयत अधिक खराब हो गई थी, जिसके कारण उनकी बेगम अधिक दुखी रहने लगी।

    काफी इलाज कराने के बाद भी पुत्र के स्वास्थ्य में कोई सुधार देखने को नहीं मिला, तो कुछ लोगों ने नवाब मोहम्मद वाजिद अली शाह की बेगम को अलीगंज के प्राचीन हनुमान मंदिर में ज्येष्ठ माह के मंगलवार को दुआ मांगने के लिए कहा। बेगम ने ठीक ऐसा ही किया और हनुमान जी की कृपा से पुत्र की तबीयत ठीक हो गई।

    मोहम्मद अली शाह अपने पुत्र के स्वास्थ्य को देख अधिक प्रसन्न हुए और उन्होंने हनुमान मंदिर की मरम्मत कराई। मंदिर का मरम्मत का कार्य ज्येष्ठ माह में पूर्ण हुआ। इसके बाद उन्होंने बजरंगबली को गुड़ और धनिया का भोग लगकर लोगों में प्रसाद का वितरण किया। तभी से हर साल बड़ा मंगल का पर्व मनाया जाता है। इस खास अवसर पर प्राचीन हनुमान मंदिर में श्रद्धालु बजरंगबली की पूजा और दर्शन करने के लिए आते हैं।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।