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    आरती और अरदास एक साथ

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    Updated: Fri, 20 Jun 2014 12:32 PM (IST)

    अमृतसर। विश्व प्रसिद्ध आध्यात्मिक स्थल श्री हरिमंदिर साहिब से मात्रा 100 गज दूरी पर स्थित अखाड़ा श्री ब्रह्म बूटा साहिब देश-विदेश में ऐसा पवित्र स्थल है, जहां आरती और अरदास एक साथ होती है। एक तरफ मंदिर में श्री चंद महाराज की मूर्ति प्रतिष्ठापित है तो दूसरी तरफ श्री गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश। ये स्थल श्री गुरु नानक देव जी के पुत्र बाबा श्री चं

    अमृतसर। विश्व प्रसिद्ध आध्यात्मिक स्थल श्री हरिमंदिर साहिब से मात्रा 100 गज दूरी पर स्थित अखाड़ा श्री ब्रह्म बूटा साहिब देश-विदेश में ऐसा पवित्र स्थल है, जहां आरती और अरदास एक साथ होती है। एक तरफ मंदिर में श्री चंद महाराज की मूर्ति प्रतिष्ठापित है तो दूसरी तरफ श्री गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश।

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    ये स्थल श्री गुरु नानक देव जी के पुत्र बाबा श्री चंद जी महाराज की तपस्थली है। यहां आने वाले हर धर्म के श्रद्धालु मंदिर में माथा टेकते हैं और गुरुद्वारे में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पाठ का श्रवण भी करते हैं। यहां पर आरती व अरदास में शामिल होकर देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु मन्नत पुत्र प्राप्ति की मांगते हैं। मन्नत पूरी होने के बाद आरती करते हैं और अरदास भी। यह दुनिया का पहला स्थल है जहां एक छत के नीचे पंडित रोजाना सुबह मंदिर में आरती गाते हैं और ग्रंथी (पाठी) श्री गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ करते हैं।

    ब्रह्म बूटा के पास रहने वाली पार्वती (80) बताती हैं कि पचास साल पहले उनके पति दुर्गा दत्त बानूड़ा आकर यहां बसे थे। तब से वह नियमित रूप से इस स्थल पर माथा टेकने सुबह-शाम जाती हैं। इलाके के सतनाम सिंह, प्रदीप बानूड़ा व सतिंदर सिंह कहते हैं कि दुनिया भर में ऐसा धार्मिक स्थल नहीं है जहां एक साथ आरती और अरदास होती है। सुबह पांच बजे मंदिर के कपाट खुल जाते हैं।

    एसजीपीसी के पूर्व सचिव प्रो. मनजीत सिंह कलकत्ता कहते हैं कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब की गुरु वाणी कहती है कि परमात्मा एक है, बस उसे पाने के लिए हम नाम अलग-अलग लेते हैं। श्री गुरु नानक देव जी के बेटे बाबा श्री चंद जी महाराज की तपस्थली पर एक साथ आरती व श्री गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश होता है। जाप व सिमरन दोनों में कोई फर्क नहीं है, क्योंकि श्री गुरु ग्रंथ साहिब में गुरु वाणी है कि कोई बोले राम-राम, कोई खुदाये.। देश में कुछ ऐसे गुरु घर हैं जिसकी दीवार मंदिर व मस्जिद के साथ जुड़ी है, लेकिन छत अलग-अलग है। यह पहला धार्मिक स्थल है जहां आरती व अरदास एक साथ होती है।