बलराम की नगरी बलदेव
कृष्ण जन्मभूमि मथुरा से 22 किमी दूर उनके अग्रज बलराम की नगरी बलदेव है। बलदेव, दाऊजी के नाम से भी प्रसिद्ध है। कृष्ण जब ब्रज छोड़ कर द्वारिका चले गए थे तब बलराम ही ब्रज के राजा माने गए थे।
कृष्ण जन्मभूमि मथुरा से 22 किमी दूर उनके अग्रज बलराम की नगरी बलदेव है। बलदेव, दाऊजी के नाम से भी प्रसिद्ध है। कृष्ण जब ब्रज छोड़ कर द्वारिका चले गए थे तब बलराम ही ब्रज के राजा माने गए थे। बलदेव में ठाकुर दाऊ दयाल का विशाल मंदिर है। इस मंदिर में बलराम का विशाल श्याम वर्ण विग्रह स्थापित है। इस मंदिर में बलराम की प्रतिमा के समक्ष उनकी पत्नी रेवती की भी प्रतिमा स्थापित है। 16वीं सदी में जब कुछ मुगल आक्रांताओं द्वारा विभिन्न मंदिरों को तोड़ा जा रहा था तब भी यह मंदिर सुरक्षित बना रहा। इस मंदिर में माखन-मिश्री का विशेष भोग लगाया जाता है। जिसे दाऊजी का हंडा कहा जाता है।
ब्रज में 84 कोस की यात्रा की शुरुआत मानी जाती है। ब्रज चौरासी कोस में 1300 से भी अधिक गांव, 1000 सरोवर, 48 वन, 24 कदंब खंडिया, अनेक पर्वत व यमुना घाट व कई अन्य महत्वपूर्ण स्थल है।
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