Navagraha Parikrama: जानें किस ग्रह की कितनी बार लगानी चाहिए परिक्रमा, जिससे बनी रहे सुख-समृद्धि
हिंदू धर्म में जिस प्रकार देवी-देवताओं की परिक्रमा का विधान है उसी प्रकार नवग्रहों की भी परिक्रमा करना शुभ माना जाता है। जीवन की विभिन्न समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए नवग्रहों की भी पूजा की जाती है। ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि किस ग्रह की कितनी बार परिक्रमा करनी चाहिए ताकि व्यक्ति को इसका शुभ परिणाम प्राप्त हो सके।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Navagraha Parikrama: ज्योतिष शास्त्र में नवग्रहों का विशेष महत्व बताया है। प्रत्येक ग्रह किसी-न-किसी वस्तु का कारक माना गया है। कुंडली में ग्रहों की अलग-अलग की स्थिति व्यक्ति के जीवन पर भी प्रभाव डालती है। ऐसे में आइए जानते हैं कि किस ग्रह की कितनी बार परिक्रमा करनी चाहिए।
सूर्यदेव की परिक्रमा
सूर्यदेव को ग्रहों का राजा कहा माना जाता है। माना गया है कि सूर्य देव की पूजा करते समय उन्हें ब्रह्म मुहूर्त में जल अर्पित करना चाहिए। इसके साथ ही सूर्य देव की 11 बार परिक्रमा करना शुभ माना गया है। इससे जातक को जीवन में कई लाभ देखने को मिलते हैं।
चंद्रदेव की लगाएं 5 परिक्रमा
यदि आप चंद्रदेव की आराधना कर रहे हैं तो ऐसे में चंद्रमा की 5 बार परिक्रमा करना बेहतर माना गया है। ऐसा करने से व्यक्ति को चंद्र दोष से छुटकारा मिल सकता है। साथ ही इससे जीवन में चल रही परेशानियां भी दूर हो जाती हैं।
मंगल की परिक्रमा
अगर किसी जातक की कुंडली में मंगल ग्रह की स्थिति कमजोर है, तो इस स्थिति में उसे मंगल देव की पूजा कर 12 बार परिक्रमा करनी चाहिए। ऐसा करने से मंगल की स्थिति में सुधार होता है।
बुध देव की पूजा
बुध देव को व्यापार का देवता भी कहा जाता है। ऐसे में यदि किसी जातक को व्यापार से संबंधित कार्यों में परेशानी आ रही है, तो उन्हें बुध देव की पूजा करनी चाहिए। साथ ही बुध देव की 06 बार परिक्रमा करें।
बृहस्पति की इतनी बार करें परिक्रमा
बृहस्पति की 04 बार परिक्रमा करना शुभ माना गया है। ऐसा करने से आपके शुभ कार्य में किसी भी प्रकार की बाधा नहीं आती और वह कार्य सही ढंग से पूर्ण होता है।
शुक्र की कितनी करें परिक्रमा
शुक्रदेव की पूजा के दौरान 03 परिक्रमा करना अच्छा माना जाता है। इससे शुक्र देव प्रसन्न होकर व्यक्ति पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं। जिससे व्यक्ति उम्र लंबी होती है और सुखों-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
शनि देव की परिक्रमा
शनि देव को न्याय का देवता माना गया है। ऐसे में यदि कोई व्यक्ति 11 परिक्रमा शनि जी की परिक्रमा करता है, तो उसे इससे मानसिक शांति की प्राप्ति हो सकती है।
राहु-केतु की परिक्रमा
यदि कोई व्यक्ति राहु दोष से पीड़ित है, तो इसके निवारण के लिए राहु की परिक्रमा 4 बार लगानी चाहिए। इससे आपको राहत मिल सकती है। वहीं, केतु को स्वास्थ्य, धन, भाग्य और घरेलू सुखों का कारक माना जाता है। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार, केतु की 02 बार परिक्रमा करना लाभकारी माना गया है।
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